बिहार | गोपालगंज विधानसभा चुनाव 2025: गोपालगंज का किला हिलेगा? छह सीटों पर उम्मीदवार बदले, वोटबैंक में उलटफेर की पूरी तैयारी

गोपालगंज विधानसभा चुनाव 2025: गोपालगंज की धरती पर हमेशा NDA की लहर चली आ रही है, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में हवा का रुख बदलने के संकेत मिल रहे हैं। उम्मीदवारों के चेहरे नये, निर्दलीयों की दौड़ तेज—ये सब मिलकर छह सीटों की जंग को कांटों भरा बना रहे हैं।

गोपालगंज विधानसभा चुनाव 2025: NDA का गढ़ क्यों डगमगा रहा?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के गोपालगंज विधानसभा चुनाव 2025 में कुल छह सीटें दांव पर हैं, जहां 2020 में NDA ने चार पर कब्जा जमाया था। लोकसभा स्तर पर भी यहां NDA की पकड़ मजबूत रही, लेकिन इस बार महागठबंधन सामान्य चेहरों पर दांव खेल रहा है। निर्दलीय और छोटे दलों की दखल से वोटबैंक का बंटवारा हो सकता है, जो पुराने समीकरणों को तुड़ सकता है। ग्राउंड पर घूमते हुए पता चला कि जातिगत समीकरणों के साथ उम्मीदवारों के बदलाव ने हर सीट को अनिश्चितता की भेंट चढ़ा दिया है। आइए, एक-एक करके देखें इन सीटों का पिछला रिकॉर्ड और नया ट्विस्ट।

बैकुंठपुर: राजपूत वोटों का खेल, जदयू को मिला मौका?

यहां 2020 में राजद के प्रेम शंकर यादव ने भाजपा के मिथिलेश तिवारी को 11,113 वोटों से मात दी थी। प्रेम शंकर को 67,807 वोट मिले, जबकि मिथिलेश 56,694 पर सिमट गए। लेकिन इस बार का पेंच फंस गया है—पिछले चुनाव में 43,000 वोट हजम कर चुके राजपूत निर्दलीय मंजीत सिंह अब बरौली से जदयू के टिकट पर उतर चुके हैं। उनका वोट बैंक यहां शिफ्ट हो सकता है, जिससे राजद की राह कठिन हो गई। भाजपा अगर हारी, तो जदयू का पलड़ा भारी पड़ सकता है। स्थानीय कार्यकर्ता बताते हैं कि ये बदलाव वोटरों को कन्फ्यूज कर रहा है, और निर्दलीयों का पुराना जादू फिर चल सकता है।

बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी लग रहा है। लेकिन असल निर्णय 6 नवंबर को जनता लेंगी।

बरौली: भितरघाट से भरा मुकाबला, रामप्रवेश राय बेटिकट

पिछले चुनाव में भाजपा के रामप्रवेश राय ने राजद के रियाजुल हक राजू को 14,155 वोटों से धूल चटाई थी—81,956 के मुकाबले 67,801। लेकिन 2025 में सीट जदयू के पाले चली गई, और रामप्रवेश बगल के दायरे से बाहर। जदयू ने मंजीत सिंह को चुना, वहीं राजद ने रियाजुल का टिकट काटकर जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह उतारे। दोनों तरफ के ये बदलाव भितरघाट की आग को हवा दे रहे हैं। कार्यकर्ताओं के बीच खेमे टूटने की अफवाहें हैं, जो इस सीट को सबसे रोमांचक बना रही। वोटबैंक के लिहाज से राजपूत-मुस्लिम समीकरण निर्णायक होंगे।

बरौली विधानसभा सीट पर नीतीश की पार्टी जेडीयू का पलड़ा हाल-फिलहाल में भारी दिखाई दे रहा है।

कुचायकोट: पप्पू पांडेय का छक्का या कांग्रेस का दांव?

जदयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय यहां पांच बार के सूरमा हैं, जिन्होंने 2020 में 74,359 वोटों से कांग्रेस के काली प्रसाद पांडेय (53,739) को 20,620 का अंतर देकर हराया। इस बार जदयू ने फिर उन पर भरोसा जताया, जबकि महागठबंधन ने कांग्रेस को सौंप दी और हरि नारायण सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा। कुशवाहा दमखम से लड़ रहे हैं, लेकिन छोटे दलों के उम्मीदवार वोट काट सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में घूमकर महसूस हुआ कि पांडेय का स्थानीय कनेक्शन मजबूत है, पर नये चेहरे युवा वोटरों को लुभा सकते हैं। यहां वोट उलटफेर की गुंजाइश सबसे ज्यादा।

कुचायकोट विधानसभा सीट पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के कैंडिडेट लड़ाई में सबसे आगे नजर आ रहे है लेकिन असल फैसला तो 6 नवंबर को जनता तय करेंगी, फिलहाल जेडीयू यहां से आगे हो सकती है।

भोरे: हॉट सीट पर वारंट का ट्विस्ट, सुनील कुमार फिर मैदान में

ये सीट हमेशा टाइट रही—2020 में जदयू के सुनील कुमार ने भाकपा माले के जितेंद्र पासवान को महज 462 वोटों से हराया (74,067 बनाम 73,605)। चिराग पासवान के दखल से जदयू को पसीना छूटा था, लेकिन अब चिराग साथ हैं। भाकपा माले ने आखिरी मौके पर जितेंद्र (जिन पर वारंट था और गिरफ्तार हो चुके) को हटाकर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष धनंजय को टिकट थमा दिया। ये बदलाव वामपंथी वोटबैंक को हिला सकता है। शिक्षा मंत्री सुनील का पलड़ा भारी लगता है, लेकिन पासवान फैक्टर अब फायदे में। स्थानीय चर्चाओं में ये सीट का फैसला आखिरी घंटों पर टिका है।

भोरे विधानसभा सीट पर जेडीयू के सुनील कुमार की पकड़ यहां मजबूत दिखाई दे रही है। लेकिन हाल के दिनों में हुए ताजा राजनीतिक बदलाव से सुनील कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

गोपालगंज: विधायक बदले दो, अब बसपा और ओवैसी का दखल

2020 में भाजपा के सुभाष सिंह ने राजद के साधु यादव को 36,000 से ज्यादा वोटों से पछाड़ा। सुभाष के निधन के बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी ने उपचुनाव में 70,053 वोटों से मोहन प्रसाद (68,259) को 1,794 का फासला देकर जीता। लेकिन भाजपा ने कुसुम का टिकट काट जिला परिषद अध्यक्ष सुभाष सिंह (नया चेहरा) को चुना—उनका रोता वीडियो वायरल हो चुका। महागठबंधन में कांग्रेस के ओमप्रकाश गर्ग उतरे, जबकि बहुजन समाज पार्टी से इंदिरा यादव (साधु की पत्नी) और ओवैसी की पार्टी से अनस सलाम मैदान में। ये अतिरिक्त उम्मीदवार महागठबंधन के वोट काट सकते हैं। शहर के चाय स्टॉल पर बातें हो रही हैं कि ये त्रिकोणीय जंग NDA को फायदा देगी।

गोपालगंज सीट पर भाजपा के उम्मीदवार का रोते हुए वीडियों की चर्चा तेज है। वही दूसरी तरफ ओवैसी और बसपा आरजेडी का वोट काटने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। ऐसे में गोपालगंज विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार आगे दिखाई दे रहे है।

हथुआ: कुशवाहा का पुराना जलवा बरकरार या वोटकाटर्स का कमाल?

राजद के राजेश सिंह कुशवाहा ने यहां 86,731 वोटों से जदयू के रामसेवक सिंह (56,204) को 30,527 का भारी अंतर दिया। दोनों ही उम्मीदवार दोबारा उतरे हैं, लेकिन निर्दलीय और छोटे दलों के दखल से वोटबैंक बंट सकता है। पिछली बार वोटकाटर्स कुशवाहा पर भारी न पड़े, इस बार उनका प्रयास जोरदार है। ग्रामीण सभाओं में साफ दिखा कि कुशवाहा का आधार मजबूत है, लेकिन ये बाहरी फैक्टर समीकरण पलट सकते हैं।

हथुआ विधानसभा सीट का नाम तेजस्वी यादव अक्सर ले रहे है। ऐसे में यहां आरजेडी प्रत्याशी की यहां पौ भारी नजर आ रही है।

गोपालगंज की ये छह सीटें बिहार चुनाव 2025 की दिशा तय करेंगी। कौन सा गठबंधन बाजी मार लेगा—अपडेट्स के लिए जुड़े रहें, क्योंकि ग्राउंड से नई खबरें लगातार आ रही हैं।

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