समस्तीपुर, 2 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को समस्तीपुर में एक वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए विपक्षी महागठबंधन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने इसे “महाथुगबंधन” कहकर चुटकी ली, जो सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तेजी से वायरल हो रहा है। लेकिन क्या है इस “महाथुगबंधन” का मतलब? और कैसे यह बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है? अमर उजाला की इस विशेष रिपोर्ट में हम गहराई से विश्लेषण करते हैं।
महाथुगबंधन: अमित शाह के व्यंग्य का नया हथियार
अमित शाह ने अपनी रैली में कहा, “विपक्ष का महागठबंधन अब ‘महाथुगबंधन’ बन गया है। इसमें हर कोई अपने-अपने थूकने को तैयार है, लेकिन एकजुटता नाम की कोई चीज नहीं।” यह टिप्पणी RJD, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के गठबंधन पर सीधी चोट थी। शाह ने NDA को “पांडवों जैसा एकजुट” बताते हुए विपक्ष की आंतरिक कलह का जिक्र किया।
यह शब्द नया नहीं है, लेकिन बिहार चुनाव 2025 के संदर्भ में इसका इस्तेमाल रणनीतिक लगता है। गूगल ट्रेंड्स पर “महाथुगबंधन” सर्चेस में 300% की उछाल देखा गया है, जो दर्शाता है कि यह टर्म आम जनता की जुबान पर चढ़ चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJP इस तरह के व्यंग्यात्मक शब्दों से विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जैसा कि 2020 के चुनावों में “महागठबंधन” के खिलाफ किया गया था।
बिहार चुनाव 2025 का बैकग्राउंड: क्यों है महाथुगबंधन चर्चा में?
बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में NDA (BJP-JDU) और महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-लेफ्ट) के बीच कांटे की टक्कर तय है। पिछले चुनावों में NDA ने 125 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन को 110 मिलीं। लेकिन 2025 में जातिगत समीकरण, नितीश कुमार की JDU की भूमिका और तेजस्वी यादव की उभरती लोकप्रियता ने समीकरण बदल दिए हैं।
अमित शाह का यह बयान समस्तीपुर से आया, जो बिहार के एक महत्वपूर्ण जिले के रूप में जाना जाता है। यहां SC/ST वोटर बेस मजबूत है, और NDA इसे मजबूत करने की कोशिश में है। शाह ने कहा, “महाथुगबंधन में लालू प्रसाद की RJD, कांग्रेस का केंद्रीय कमजोर नेतृत्व और लेफ्ट की पुरानी विचारधारा—सब मिलकर थू-थू का खेल खेल रहे हैं।”
महाथुगबंधन का क्या असर पड़ेगा बिहार चुनाव 2025 पर?
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह टर्म विपक्ष के लिए चुनौती बन सकता है। यहां कुछ प्रमुख पॉइंट्स हैं:
- आंतरिक कलह उजागर: हाल ही में RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर विवाद हुआ, जो “महाथुगबंधन” की छवि को मजबूत करता है।
- सोशल मीडिया वायरल: ट्विटर (X) पर #Mahathugbandhan हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, जहां मीम्स और डिबेट्स की बाढ़ आ गई है।
- NDA की रणनीति: BJP-JDU गठबंधन एकजुटता दिखाने के लिए “पांडव” एनालॉजी का इस्तेमाल कर रहा है, जो महाभारत के संदर्भ से बिहार की जनता से जुड़ाव पैदा करता है।
- वोटर सेंटिमेंट: ग्रामीण बिहार में ऐसे व्यंग्य प्रभावी होते हैं, जहां जाति और गठबंधन की विश्वसनीयता मायने रखती है।
अगर महागठबंधन इस तंज का जवाब नहीं दे पाया, तो 2025 के चुनावों में 10-15 सीटों का नुकसान हो सकता है, जैसा कि पॉल्स में संकेत मिल रहे हैं।
अमित शाह का बिहार दौरा: चुनावी रोडमैप का संकेत
यह रैली अमित शाह के बिहार के आगामी दौरे का हिस्सा है। अगले हफ्ते पटना और मुजफ्फरपुर में रैलियां होंगी, जहां विकास, रोजगार और “महाथुगबंधन” पर फोकस रहेगा। शाह ने कहा, “बिहार को NDA ही मजबूत बनाएगा, विपक्ष का थुगबंधन तोड़फोड़ ही करेगा।”
बिहार की राजनीति में नया ट्विस्ट
“महाथुगबंधन” सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि NDA की चुनावी रणनीति का हथियार है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष कैसे काउंटर करेगा। क्या तेजस्वी यादव इसे “गठबंधन की मजबूती” साबित करेंगे, या यह NDA को फायदा पहुंचाएगा? इन्वेस्ट बडी डॉट इन लगातार अपडेट्स लाता रहेगा।
