मानसून की विदाई की बजाय वापसी ने यूपी को पानी-पानी कर दिया, जहां सड़कें नदियां बन गईं और गांवों में दहशत फैल गई। बांधों से छोड़ा पानी घरों में घुसा, और जंगलों से निकले जीव शहरों में दाखिल हो गए, जिसने लोगों की रातों की नींद उड़ा दी।
भारी बारिश ने पूरे प्रदेश को चपेट में ले लिया है, जहां 1 से 4 अक्टूबर तक 28.6 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि मौसम विभाग ने सिर्फ 6.4 मिमी का अनुमान लगाया था। इससे औसत से 346% ज्यादा पानी बरसा, जिसने पूर्वी यूपी को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। वाराणसी में 125 साल का रिकॉर्ड टूटा, जहां 24 घंटे में रिकॉर्ड वर्षा हुई। लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक अतुल सिंह ने हमें बताया कि अगले तीन दिन तक ऐसा ही दौर जारी रहेगा, और 5 अक्टूबर से नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है, जो उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करेगा।
रिकॉर्ड वर्षा का असर: बांध ओवरफ्लो, गांव डूबे
चंदौली और मिर्जापुर में बांधों का पानी छलकने से हालात बेकाबू हो गए। अहरौरा बांध से पानी छोड़े जाने के बाद जमालपुर विकास खंड के 20 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के गांव औड़ी में भी पानी घुस गया, जहां लोग रातभर जागकर सामान बचाते रहे। एक स्थानीय किसान ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हमारी फसलें तो बह गईं, घर में कमर तक पानी है। मंत्री जी का गांव भी डूबा, तो हम जैसे गरीबों का क्या हाल होगा? हे भगवान, ये बारिश कब थमेगी?” चंदौली में चंद्रप्रभा बांध ओवरफ्लो होने से आसपास के इलाकों में फ्लैश फ्लड जैसी स्थिति बन गई है।
सोनभद्र के खुटहां गांव में तो दहशत का अलग नजारा देखने को मिला, जहां एक दुकान में 8 फीट लंबा अजगर घुस आया। दुकानदार ने बताया कि काउंटर के नीचे छिपा अजगर देखकर चीख निकल गई। वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर उसे मुक्खा पहाड़ी पर छोड़ा। दुकानदार भावुक होकर बोले, “बारिश ने जंगलों से जानवरों को बाहर निकाल दिया, हमारी दुकान में ऐसा कभी नहीं देखा। बच्चे डरकर घर से बाहर नहीं निकल रहे।” ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जहां मानसून की वापसी ने वन्यजीवों को भी प्रभावित किया।
देवरिया में बाढ़ जैसे हालात: सड़कें बह रही, बिजली गुल
देवरिया जिले में रातभर तेज हवा के साथ मूसलाधार वर्षा ने कहर बरपाया, जहां नालियां ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बह रही हैं। कई जगह पोल टूट गए, और शहर से गांव तक बिजली आपूर्ति ठप है। सीएचसी लार में एक फीट पानी भर गया, जहां मरीज और स्टाफ परेशान हैं। तैनात डॉक्टर का कहना है कि, “अस्पताल में बाढ़ जैसा नजारा है, दवाएं भीग गईं। मरीज कैसे इलाज कराएं? हम रातभर पानी निकालते रहे, लेकिन बारिश थमने का नाम नहीं ले रही।” जिले में 136 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जो सबसे प्रभावित जिलों में से एक है। लोग इनवर्टर और जनरेटर से काम चला रहे हैं, लेकिन आवागमन बाधित होने से दैनिक जीवन ठप हो गया।
मौसम का पूर्वानुमान: 27 जिलों में अलर्ट, ओलावृष्टि की चेतावनी
शनिवार को पूर्वी यूपी के 41 जिलों में झमाझम वर्षा हुई, जबकि पश्चिमी हिस्से के सिर्फ 7 जिलों में हल्की बूंदाबांदी। आज 27 जिलों में वर्षा का अलर्ट है, जिनमें 15 में भारी बारिश की चेतावनी। अतुल सिंह ने बताया, “6 और 7 अक्टूबर को पश्चिमी यूपी में ओलावृष्टि के साथ कहीं-कहीं मूसलाधार वर्षा हो सकती है। लोग सतर्क रहें, नदियों के किनारे न जाएं।” इस साल मानसून सीजन (1 जून-30 सितंबर) में पूरे प्रदेश में 701.6 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य 746.2 मिमी से 6% कम है। लेकिन अक्टूबर में सामान्य से ज्यादा बरसात का अनुमान है, जो किसानों के लिए वरदान लेकिन शहरों के लिए मुसीबत बन रही है।
मानसून का रिटर्न: पूर्वी vs पश्चिमी यूपी का फर्क
इस साल पश्चिमी यूपी में 752.5 मिमी वर्षा हुई, जो 12% ज्यादा, जबकि पूर्वी हिस्से में 666 मिमी के साथ 17% कम। लेकिन अक्टूबर की शुरुआत ने पूर्वी इलाकों को पानी से लबालब कर दिया। एक किसान ने कहा, “मानसून लौटकर आया तो फसलें बच गईं, लेकिन ज्यादा पानी ने सब बर्बाद कर दिया। हमारी मेहनत डूब गई, अब सरकार मदद करे।” मौसम विभाग का कहना है कि यह रिटर्निंग मानसून का असर है, जो अक्टूबर में और सक्रिय हो सकता है।
