क्या यूपी की सियासत में सपा फिर से कमर कस रही है? गुरुवार को जारी प्रत्याशियों की लिस्ट ने चुनावी माहौल गर्मा दिया है, जहां पार्टी ने अनुभवी चेहरों पर दांव लगाया।
लखनऊ से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, यूपी एमएलसी चुनाव 2025 के लिए समाजवादी पार्टी ने शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों से 5 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। ये चुनाव उत्तर प्रदेश विधान परिषद की कुल 100 सीटों में से शिक्षक और स्नातक कोटे की 16 सीटों पर होने वाले हैं, जहां सपा ने वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, झांसी और लखनऊ जैसे प्रमुख खंडों पर फोकस किया है।
पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की रणनीति साफ नजर आ रही है, जहां मौजूदा एमएलसी को दोबारा मौका देकर संगठन की मजबूती दिखाई गई है। हमने पार्टी मुख्यालय के सूत्रों और आधिकारिक बयानों से ये डिटेल्स जुटाई हैं, जो दिखाते हैं कि सपा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ को मजबूत करने की कोशिश में है।
शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र: इन दो खंडों पर सपा का दांव
शिक्षक कोटे से सपा ने दो उम्मीदवार उतारे हैं। वाराणसी-मिर्जापुर खंड से लाल बिहारी यादव को टिकट मिला है, जो वर्तमान में एमएलसी हैं और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता माने जाते हैं। वहीं, गोरखपुर-फैजाबाद खंड में कमलेश यादव को मैदान में उतारा गया है।
ये दोनों ही क्षेत्र पूर्वांचल के महत्वपूर्ण इलाके हैं, जहां शिक्षक वोट बैंक सपा के लिए अहम साबित हो सकता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं से बात करने पर पता चला कि लाल बिहारी की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है, जो पिछले कार्यकाल में शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं।
स्नातक निर्वाचन क्षेत्र: तीन सीटों पर अनुभवी चेहरे
स्नातक कोटे में सपा ने तीन प्रत्याशी घोषित किए हैं। इलाहाबाद-झांसी खंड से डॉक्टर मान सिंह यादव को टिकट दिया गया है, जो मौजूदा एमएलसी हैं और स्वास्थ्य-शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं। वाराणसी-मिर्जापुर खंड में आशुतोष सिन्हा को दोबारा मौका मिला है, जबकि लखनऊ खंड से कांति सिंह का नाम फाइनल हुआ है।
आशुतोष सिन्हा विधान परिषद में सपा की मजबूत आवाज रहे हैं, और कांति सिंह प्रतापगढ़ से सपा सांसद एसपी सिंह बघेल की पत्नी हैं। कांति पिछले चुनाव में हार गई थीं, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें फिर से मौका देकर महिलाओं और युवा वोटरों को साधने की कोशिश की है। लखनऊ पब्लिक स्कूल की मालकिन कांति सिंह शिक्षा जगत में सक्रिय हैं, जो स्नातक वोटर्स से जुड़ाव बढ़ा सकती हैं।
उम्मीदवारों का बैकग्राउंड: क्यों चुने गए ये चेहरे?
सपा की इस लिस्ट में तीन मौजूदा एमएलसी – लाल बिहारी यादव, डॉ. मान सिंह और आशुतोष सिन्हा को रिपीट करना रणनीतिक लगता है। ये सभी पार्टी के वफादार हैं और विधान परिषद में सपा की आवाज मजबूत रखते आए हैं। कमलेश यादव गोरखपुर-फैजाबाद में स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय हैं, जबकि कांति सिंह का शिक्षा से जुड़ा बैकग्राउंड स्नातक चुनाव में फायदेमंद हो सकता है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने प्रत्याशी चयन में प्रदर्शन और जनाधार को प्राथमिकता दी है, ताकि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन मजबूत हो। ये चुनाव सपा के लिए टेस्टिंग ग्राउंड साबित होंगे, जहां पिछड़े और शिक्षित वोटर्स को साधना अहम है।
यूपी एमएलसी चुनाव 2025 का महत्व: सपा की रणनीति क्या कहती है?
उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव हमेशा से पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, क्योंकि ये ऊपरी सदन में प्रतिनिधित्व तय करते हैं। सपा ने भाजपा से पहले प्रत्याशी घोषित करके बाजी मार ली है, जो दिखाता है कि पार्टी 2027 की तैयारी में जुटी है। शिक्षक और स्नातक सीटें वोट बैंक के लिहाज से अहम हैं, जहां सपा पीडीए फॉर्मूले पर चल रही है।
विरोधी दल अभी चुप हैं, लेकिन सपा की ये लिस्ट राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। हमने लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं से बात की, जो कहते हैं कि ये ऐलान कार्यकर्ताओं में जोश भरेगा।
चुनाव की तारीखें और प्रक्रिया: क्या जानना जरूरी?
यूपी एमएलसी चुनाव 2025 में नामांकन, मतदान और परिणाम की तारीखें जल्द घोषित होंगी, लेकिन तैयारी जोरों पर है। शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत शिक्षक वोट डालेंगे, जबकि स्नातक में डिग्री धारक। सपा ने इन सीटों पर फोकस करके शिक्षित समाज को संदेश दिया है। अगर आप वोटर हैं, तो अपना नाम लिस्ट में चेक करें और चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखें।
