मिर्जापुर ट्रेन हादसा: कार्तिक पूर्णिमा की भीड़ में कालका एक्सप्रेस ने 6 महिलाओं को कुचला, शवों के टुकड़े 50 मीटर तक बिखरे

मिर्जापुर ट्रेन हादसा : यूपी के चुनार रेलवे स्टेशन पर एक आज सुबह अचानक काले बादलों से घिर गई। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर स्नान को जा रहे श्रद्धालुओं की भीड़ में पैसेंजर ट्रेन रुकी ही थी कि पड़ोसी ट्रैक से कालका एक्सप्रेस की तेज रफ्तार ने सब कुछ उजाड़ दिया। छह महिलाओं की जानें गईं, और ट्रैक पर बिखरे शवों के टुकड़े आज भी उस दृश्य की भयावहता बयां कर रहे हैं।

मिर्जापुर ट्रेन हादसा की यह घटना रेल यात्रा के जोखिमों को एक बार फिर सामने लाई है। चोपन से आई पैसेंजर ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर ठहर चुकी थी। श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा थी कि कई लोग प्लेटफॉर्म पर जगह न मिलने के चलते सीधे ट्रैक पर उतर पड़े। इसी बीच, कालका एक्सप्रेस बिना रुके दूसरे ट्रैक पर दौड़ रही थी। स्पीड इतनी तेज कि यात्रियों को भनक लगते ही घबरा गए। पुरुष तो किसी तरह प्लेटफॉर्म पर चढ़ निकले, लेकिन महिलाएं फंस गईं। ट्रेन के पहियों तले दबकर उनकी जिंदगियां खत्म हो गईं।

हादसे की पूरी कड़ियां: भीड़भाड़ से ट्रैक पर उतरना बना घातक

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा का स्नान महात्म्य श्रद्धालुओं को गंगा घाट की ओर खींच लाया था। चुनार स्टेशन गंगा स्नान स्थल से महज 2-3 किलोमीटर दूर है, इसलिए यहां भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है। पैसेंजर ट्रेन में सवार लोग उत्साह से भरे थे, लेकिन प्लेटफॉर्म पर अव्यवस्था ने सब बिगाड़ दिया। कुछ यात्री ट्रैक क्रॉस करने लगे, तभी कालका एक्सप्रेस की सीटी गूंजी।

रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि चुनार इस ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है, इसलिए उसकी गति सामान्य से कहीं ज्यादा थी। हादसा इतनी फुर्ती से हुआ कि आसपास के लोग कुछ समझ ही न पाए। ट्रेन गुजरने के बाद ट्रैक पर खून से सना नजारा दिखा। शवों के टुकड़े करीब 50 मीटर तक फैले पड़े थे। राहत कार्य में लगे कर्मियों ने इन्हें बैगों में समेटा और पोस्टमॉर्टम के लिए वाराणसी भेज दिया। स्टेशन पर मातम का सन्नाटा छा गया, जबकि बाकी यात्री सहमे हुए खड़े रहे।

मृतक महिलाओं की पहचान: मिर्जापुर-सोनभद्र से जुड़ी जिंदगियां रुकीं

इस मिर्जापुर ट्रेन हादसे में ज्यादातर पीड़िताएं मिर्जापुर जिले की रहने वाली थीं। पांच महिलाएं स्थानीय थीं, जबकि एक सोनभद्र से आईं। इनकी उम्र 15 से 60 साल के बीच थी, जो परिवारों के सहारे थीं। पहचान हो चुकी है – सविता (28 वर्ष), साधना (15 वर्ष) जो बहनें हैं, शिवकुमारी (17 वर्ष), अंजू देवी (20 वर्ष), सुशीला देवी (60 वर्ष) और कलावती देवी (50 वर्ष, सोनभद्र निवासी)।

ये सभी कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए जा रही थीं। साधना और सविता की जोड़ी परिवार के लिए सपनों का केंद्र थी, लेकिन अब उनके घरों में शोक की लहर दौड़ गई है। स्थानीय लोग बताते हैं कि ये महिलाएं सुबह ही ट्रेन पकड़कर निकली थीं, बिना यह सोचे कि रास्ता मौत का फंदा बनेगा। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन कोई रकम इस दर्द को कम नहीं कर सकती।

रेलवे की लापरवाही पर सवाल: स्टॉपेज न होने से बढ़ा खतरा

कार्तिक पूर्णिमा जैसी तिथियों पर स्टेशनों पर भीड़ का अंदाजा रेलवे को पहले से होता है। फिर भी, कालका एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनों को धीमी गति में न गुजारना एक बड़ी चूक मानी जा रही है। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि अगर ट्रेन की स्पीड कंट्रोल की जाती तो शायद यह विपत्ति टल जाती। स्टेशन मास्टर और सिग्नल स्टाफ की तैनाती भी पर्याप्त नजर नहीं आई।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया है। ऐसे में, रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजामों की चर्चा तेज हो रही है। लेकिन फिलहाल, यह हादसा सबक बन चुका है।

यह मिर्जापुर ट्रेन हादसा रेल नेटवर्क की उन कमजोर कड़ियों को उजागर करता है, जहां उत्सव की खुशी दुख में बदल जाती है। अपडेट्स के लिए हमसे जुड़े रहें – अगली खबरों में और विस्तार से बताएंगे।

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