लखनऊ, 06 नवंबर: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अगले साल अप्रैल से जुलाई के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी पूरी है, जो ग्रामीण इलाकों में नए नेतृत्व को जन्म देगी।
यूपी पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने कमर कस ली है। आयोग के मुताबिक, अप्रैल से जुलाई 2026 के बीच चुनाव कराए जाएंगे, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार से एससी-एसटी आरक्षण का निर्धारण जरूरी है।
जैसे ही वार्ड, ब्लॉक और जिला पंचायतों को आरक्षित किया जाएगा, वैसे ही मतदान प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिलाधिकारियों से आयोग ने साफ कहा है कि तय समय पर चुनाव होंगे, इसलिए जिले स्तर पर तैयारियां पुख्ता करें।
यूपी पंचायत चुनाव 2026 की समयसीमा और तैयारी
राज्य निर्वाचन आयुक्त राजप्रताप सिंह ने हाल ही में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने जोर दिया कि पंचायती राज चुनाव बिना किसी देरी के होंगे। मतदाता सूची से डुप्लीकेट नाम हटाने और नए पात्र वोटरों को जोड़ने पर खास ध्यान देने को कहा गया। कुछ जिलों में जहां सूची पुनरीक्षण का काम सुस्त है, वहां अधिकारियों को चेतावनी भी दी गई।
आयोग ने बैलेट पेपर की छपाई के लिए विशेष पेपर तैयार कराना शुरू कर दिया है। इस बार 75 करोड़ से ज्यादा बैलेट पेपर छपेंगे, जो दो-तीन रंगों में होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन आयोग का दावा है कि सबकुछ सुचारू रहेगा।
चुनाव खर्च सीमा में बड़ा बदलाव
पिछले चुनावों की तुलना में इस बार उम्मीदवारों के लिए चुनावी व्यय की ऊपरी सीमा बढ़ा दी गई है। ग्राम प्रधान पद के लिए खर्च की लिमिट 75 हजार से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दी गई है।
ब्लॉक प्रमुख के लिए यह 3.50 लाख रुपये हो गई है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए 4 लाख से बढ़कर 7 लाख रुपये।
जिला पंचायत सदस्यों की सीमा अब 2.50 लाख और क्षेत्र पंचायत सदस्यों की 1 लाख रुपये बनी हुई है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि वास्तविक खर्च इससे कहीं ज्यादा होता है। बड़े जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए 10-15 करोड़ रुपये तक लग जाते हैं, जहां सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए हर तरह की रणनीति अपनाई जाती है।
पिछले पंचायत चुनाव से सबक
2021 के पंचायत चुनाव को याद करें तो 15 से 29 अप्रैल तक चार चरणों में ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के लिए वोटिंग हुई थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सबकुछ उथल-पुथल कर दिया। कई मतदानकर्मी जान गंवा बैठे, जिसके चलते ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव जुलाई तक टल गए।
इस बार आयोग उन गलतियों से बचने की कोशिश कर रहा है, ताकि चुनाव सुरक्षित और समयबद्ध रहें। ग्रामीण राजनीति में ये चुनाव हमेशा से ही जोश भरते हैं, जहां स्थानीय मुद्दे और विकास योजनाएं केंद्र में रहती हैं।
नामांकन शुल्क और जमानत राशि में बढ़ोतरी
उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क और जमानत राशि भी संशोधित की गई है। यह बदलाव चुनाव को और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हैं। आयोग का मानना है कि इससे गंभीर प्रत्याशी ही मैदान में उतरेंगे।
हालांकि, छोटे गांवों में जहां प्रधान पद के लिए मुकाबला स्थानीय स्तर पर होता है, वहां ये बदलाव कुछ उम्मीदवारों को प्रभावित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, ये चुनाव उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और प्रशासन पर गहरा असर डालेंगे।
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यूपी की राजनीति में पंचायत चुनाव हमेशा से ही बड़े बदलाव का संकेत देते हैं। जैसे-जैसे आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होगी, वैसे ही चुनावी सरगर्मियां बढ़ेंगी। पाठकों, अगर आप ग्रामीण इलाकों से हैं तो अपनी मतदाता सूची चेक कर लें और अपडेट रहें।
FAQs
- यूपी पंचायत चुनाव 2026 कब होंगे?
चुनाव अप्रैल से जुलाई 2026 के बीच कराए जाएंगे, राज्य सरकार के आरक्षण निर्धारण के बाद। - पंचायत चुनाव में खर्च सीमा कितनी बढ़ी है?
ग्राम प्रधान के लिए 1.25 लाख, जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए 7 लाख रुपये तक की नई सीमा तय की गई है। - मतदाता सूची में क्या बदलाव हो रहे हैं?
डुप्लीकेट नाम हटाए जा रहे हैं और पात्र वोटरों को जोड़ा जा रहा है, जिलों में पुनरीक्षण तेज। - 2021 के पंचायत चुनाव में क्या समस्या आई थी?
कोरोना की वजह से मतदानकर्मियों की मौत हुई और कुछ चुनाव टल गए थे। - बैलेट पेपर की तैयारी कैसी चल रही है?
विशेष पेपर बनवाया जा रहा है, 75 करोड़ से ज्यादा बैलेट छपेंगे।
