मानसून की विदाई की बजाय और ज्यादा कहर बरपा रहा है, जहां पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड ने घर उजाड़ दिए और नदियां उफान पर आ गईं। परिवारों की चीखें गूंज रही हैं, जहां मां-बाप अपने बच्चों की तलाश में बिलख रहे हैं, और पूरा देश सदमे में डूबा हुआ है।
नेपाल में मूसलाधार बारिश व बाढ़ ने पूरे देश को तबाह कर दिया है, जहां शुक्रवार से जारी मूसलाधार वर्षा ने लैंडस्लाइड और फ्लडिंग से 244 लोगों की जान ले ली, जबकि 19 अभी भी लापता हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान पूर्वी नेपाल के इलाम जिले में हुआ, जहां 37 लोगों की मौत हो गई। इलाम की जिला अधिकारी सुनिता नेपाल ने भावुक होकर कहा, “रात भर हुई मूसलाधार बारिश ने लैंडस्लाइड को ट्रिगर किया, जिससे भारी नुकसान हुआ। कई इलाकों में सड़कें जाम होने से रेस्क्यू में मुश्किल आ रही है।” बचावकर्मी पैदल ही प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मौसम की मार ने सब कुछ रोक दिया है।
इलाम में लैंडस्लाइड की तबाही: 37 मौतें, गांव उजड़े

पूर्वी नेपाल का इलाम जिला इस आपदा का सबसे बड़ा शिकार बना, जहां लगातार बारिश ने पहाड़ों को खोखला कर दिया और लैंडस्लाइड ने दर्जनों घरों को अपनी चपेट में ले लिया। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमारी पूरी जिंदगी बह गई, घर के घर उजड़ गए। मेरे पड़ोसी की पूरी फैमिली मलबे में दब गई, अब सिर्फ यादें बची हैं।” जिला अधिकारी सुनिता नेपाल ने कहा, “बचाव टीमें हरसंभव कोशिश कर रही हैं, लेकिन सड़कें ब्लॉक होने से हेलिकॉप्टर ही एकमात्र सहारा है।” इलाम में 37 मौतों के अलावा कई घायल हैं, और राहत सामग्री पहुंचाने में देरी हो रही है। UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मौतों में 55 बच्चे शामिल हैं, जो इस आपदा की भयावहता को दर्शाता है।
काठमांडू में फ्लडिंग का डर: घर डूबे, रेस्क्यू में हेलिकॉप्टर लगे
राजधानी काठमांडू भी इस बारिश की मार से नहीं बचा, जहां बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया और कई बस्तियां पानी में डूब गईं। सिक्योरिटी फोर्सेज मोटरबोट और हेलिकॉप्टर से लोगों को निकाल रही हैं, लेकिन कई इलाकों में बिजली गुल होने से संकट बढ़ गया है। एक प्रभावित महिला ने आंसू पोछते हुए कहा, “हमारा घर पानी में डूबा, बच्चे भूखे हैं। सरकार मदद कर रही है, लेकिन ये कब थमेगा?” काठमांडू वैली में 56 मौतें हो चुकी हैं, और शहर की बिजली, इंटरनेट और पानी की सप्लाई ठप है। मौसम विभाग ने 12 से ज्यादा जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है, और सरकार ने सोमवार-मंगलवार को पब्लिक हॉलिडे घोषित कर दिया है।
कोशी नदी का उफान: बैराज के सभी गेट खुले, खतरा बढ़ा
दक्षिण-पूर्वी नेपाल में कोशी नदी का जलस्तर सामान्य से दोगुना हो गया, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। लोकल अधिकारी धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया, “कोशी बैराज के सभी 56 गेट खोल दिए गए हैं, जबकि आमतौर पर 10-12 गेट ही खुले रहते हैं।” एक किसान ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हमारी फसलें बह गईं, घरों में पानी भर गया। क्लाइमेट चेंज ने हमें बर्बाद कर दिया।” एक्सपर्ट्स का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मानसून देर तक चला, और बारिश की तीव्रता बढ़ गई, जो पहाड़ी देश नेपाल के लिए बड़ा खतरा है।
क्लाइमेट चेंज का असर: मानसून की देरी से बढ़ी मुसीबत
नेपाल में हर साल जून से सितंबर तक मानसून आता है, लेकिन इस बार यह अक्टूबर तक खिंच गया, जिससे नुकसान दोगुना हो गया। मौसम अधिकारी बिनू महर्जन ने कहा, “एक लो-प्रेशर सिस्टम की वजह से बारिश लंबी और तीव्र हुई, जो क्लाइमेट चेंज का नतीजा है।” UNICEF ने चेतावनी दी कि 35 बच्चे मारे गए, और हजारों बेघर हो गए। सरकार ने 30,000 से ज्यादा सिक्योरिटी पर्सनल तैनात किए हैं, और रेस्क्यू में 13,300 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और अनप्लान्ड अर्बनाइजेशन ने समस्या बढ़ाई है।
