लखनऊ। उत्तर प्रदेश, 05 अक्टूबर: गरीबों के लिए बने राशन की लाइन में लगकर अमीर लोग अपना पेट भर रहे थे, जबकि असली हकदार भूखे सोते थे। यह सच्चाई अब सामने आ गई है, जहां कारों में घूमने वाले और लाखों कमाने वाले मुफ्तखोरी की हद पार कर चुके थे, और परिवारों का दर्द छिपा रह गया।
उत्तर प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा अमीरों के राशन कार्ड कैंसिल करने की इस बड़ी कार्रवाई ने गरीबों के हक पर सेंध लगाने वालों की पोल खोल दी है। भारत सरकार के डाटा मिलान से पता चला कि प्रदेश में करीब 16.67 लाख अपात्र लोग फ्री राशन ले रहे थे, जिनमें आयकरदाता, कार मालिक, बड़े किसान और जीएसटी पंजीकृत फर्म वाले शामिल हैं।
अब खाद्य एवं रसद विभाग हर जिले में सत्यापन कर इनके कार्ड निरस्त करने में जुटा है। अपर आयुक्त आपूर्ति सत्यदेव ने हमें बताया कि केंद्र सरकार के भेजे डाटा के आधार पर यह अभियान चल रहा है, ताकि असली पात्रों तक राशन पहुंचे। प्रदेश में वर्तमान में 3.62 करोड़ राशन कार्ड हैं, जिनसे 14.68 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं, लेकिन अपात्रों की वजह से सिस्टम में गड़बड़ी थी।
डाटा मिलान से खुली मुफ्तखोरी की पोल: अमीरों की लिस्ट में कौन-कौन
केंद्र सरकार ने आयकर विभाग, परिवहन विभाग, जीएसटी और पीएम किसान सम्मान निधि के डाटा से राशन कार्डधारकों का मिलान किया, तो चौंकाने वाले नाम सामने आए। 9,96,643 आयकरदाता, 4.74 लाख हल्के मोटर वाहन (कार आदि) मालिक, 1,89,701 पांच एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसान, 6,775 जीएसटी पंजीकृत फर्म वाले और 308 भारी वाहन मालिक राशन की कतार में लगे मिले।
एक ग्रामीण क्षेत्र के निवासी ने भावुक होकर कहा, “हमारे जैसे गरीब दिनभर मजदूरी करते हैं, तब जाकर राशन मिलता है। लेकिन अमीर लोग कार से आकर हमारा हक छीन लेते थे। अब न्याय हो रहा है, लेकिन पहले का नुकसान कौन भरेगा?” यह मिलान अंत्योदय और पात्र गृहस्थी कार्डधारकों के लिए तय मानकों के खिलाफ था, जहां ग्रामीण क्षेत्र में दो लाख रुपये सालाना से कम आय और शहरी में तीन लाख से कम आय की सीमा है।
जिलावार आंकड़े: कहां सबसे ज्यादा अपात्र पकड़े गए
सत्यापन में जिलों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कार वाले राशन कार्डधारकों में लखनऊ टॉप पर है 30,292 के साथ, उसके बाद कानपुर नगर (17,741), प्रयागराज (16,652), गाजियाबाद (13,912) और बरेली (12,494)। आयकरदाताओं में जौनपुर सबसे आगे 39,269 के साथ, फिर प्रयागराज (36,182), गोरखपुर (31,972), आजमगढ़ (31,015) और प्रतापगढ़ (23,375)।
पांच एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसानों में प्रतापगढ़ (8,326), सीतापुर (6,636), अलीगढ़ (5,854), मथुरा (5,520) और हमीरपुर (5,145) प्रमुख हैं। एक किसान ने दर्द भरी आवाज में बताया, “हमारे पास थोड़ी जमीन है, लेकिन अमीर किसान राशन ले रहे थे। ये गलत था, अब सिस्टम सुधरेगा तो गरीबों को फायदा होगा।”
सत्यापन और निरस्तीकरण: विभाग की कार्रवाई और चुनौतियां
खाद्य एवं रसद विभाग अब इन अपात्रों का सत्यापन कर रहा है, और कार्ड निरस्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। अपर आयुक्त सत्यदेव ने कहा, “हर जिले में टीमें काम कर रही हैं, डाटा के आधार पर जांच हो रही है। अपात्रों को नोटिस देकर कार्ड सरेंडर करने को कहा जा रहा है।” लेकिन चुनौतियां भी हैं, जैसे कुछ अपात्रों के रसूखदार होने से प्रक्रिया में देरी।
एक विभागीय अधिकारी ने ऑफ द रेकॉर्ड बताया, “कई अमीर लोग अब कार्ड छोड़ने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन हम सख्ती बरतेंगे। गरीबों का हक कोई नहीं छीन सकता।” यह अभियान पूरे देश में चल रहा है, जहां केंद्र ने 1.17 करोड़ अपात्रों की लिस्ट राज्यों को भेजी है।
गरीबों पर असर: अब असली हकदारों को मिलेगा फायदा
यह कार्रवाई से पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति सदस्य पांच किलो और अंत्योदय को 35 किलो राशन प्रति परिवार बिना रुकावट मिल सकेगा। एक गरीब महिला ने आंसू पोछते हुए कहा, “हमारे बच्चे भूखे सोते थे, क्योंकि राशन खत्म हो जाता था। अब अमीरों के कार्ड कटेंगे तो हमें पूरा हक मिलेगा। सरकार का शुक्रिया।” विभाग का दावा है कि सत्यापन पूरा होने पर सिस्टम और पारदर्शी बनेगा, और मुफ्तखोरी रुकेगी।
