गोरखपुर। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का आरोप है कि उत्तर प्रदेश के बरेली में हुई बरेली हिंसा कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि सरकार द्वारा रचित एक सोची-समझी साजिश है। उनके मुताबिक, लद्दाख और उत्तराखंड में युवाओं के आंदोलन तथा एसएससी जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह ‘कांड’ करवाया गया।
सांसद संजय सिंह ने यह बात गोरखपुर में एक निजी कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने घोषणा की कि आम आदमी पार्टी मामले की तहकीकात के लिए 7 अक्टूबर को एक 16 सदस्यीय उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल बरेली भेजेगी। इस टीम का मकसद जमीनी हकीकत का पता लगाना और पीड़ित परिवारों से मिलना है।
क्या है पूरा मामला? “आई लव मोहम्मद” से शुरू हुई कहानी
बरेली हिंसा की जड़ “आई लव मोहम्मद” और “आई लव महादेव” जैसे अभियानों को बताया जा रहा है। संजय सिंह के अनुसार, पहले “आई लव मोहम्मद” की शुरुआत एक प्रतियोगिता के तौर पर हुई। इसके जवाब में “आई लव महादेव” का चलन शुरू हो गया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद बाहर निकलने का आह्वान किया।
नतीजा यह हुआ कि सड़कों पर उतरे लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। संजय सिंह का दावा है कि यह एक ऐसा मामला था जो शांत हो गया था, लेकिन जानबूझकर उकसाया गया।
सरकार पर लगे ये गंभीर आरोप
संजय सिंह ने प्रदेश की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए:
- साजिश का आरोप: उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार की “मिली-जुली साजिश” है ताकि बेरोजगारी, किसानों की समस्या और लद्दाख जैसे असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाया जा सके।
- बुलडोजर पर सख्त एतराज: संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाते हुए उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की “धज्जियां उड़ाई जा रही हैं” और अगर मामला कोर्ट पहुंचा तो बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों की नौकरी तक जा सकती है।
- भेदभावपूर्ण रवैया: उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज के कई लोगों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया गया है, लेकिन बरेली में यह कार्रवाई एकतरफा और दुर्भावनापूर्ण है।
प्रशासन की कार्रवाई में दर्ज हुई ये बड़ी बातें
वहीं, घटना के बाद प्रशासन और पुलिस ने कड़ी कार्रवाई शुरू की है, जिसके मुख्य पहलू यह रहे हैं:
- बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां: इस मामले में अब तक 82 से अब तक 83 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें मौलाना तौकीर रजा और उनके करीबी नफीस खान व नदीम खान जैसे नाम शामिल हैं।
- बुलडोजर एक्शन जारी: आरोपियों की अवैध रूप से बनी संपत्तियों को गिराया जा रहा है। मौलाना तौकीर रजा के करीबी नफीस खान के “रजा पैलेस” नामक बारात घर को बुलडोजर कर गिरा दिया गया है।
- बिजली बिल का झटका: प्रशासन ने आर्थिक रूप से भी आरोपियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बिजली विभाग ने तौकीर रजा के करीबियों पर 1 करोड़ 26 लाख रुपये का बकाया बिल का नोटिस जारी किया है।
- फरार आरोपियों पर इनाम की तैयारी: पुलिस ने फरार चल रहे करीब 12 प्रमुख आरोपियों को पकड़ने के लिए इनाम घोषित करने, विशेष टीमें बनाने और गैर-जमानती वारंट लेने की तैयारी की है।
इन नेताओं की टीम लेगी बरेली हिंसा का जायजा
आम आदमी पार्टी की ओर से बरेली जाने वाले 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हैं:
- दिलीप पांडेय – प्रदेश सह प्रभारी (टीम लीडर)
- सोमेंद्र ढाका – पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रांत अध्यक्ष
- मो. हैदर – रुहेलखंड प्रांत अध्यक्ष
- इमरान लतीफ – बौद्ध प्रांत अध्यक्ष
- नीलम यादव – महिला विंग अध्यक्ष
- डॉ. छवि यादव – पिछड़ा प्रकोष्ठ अध्यक्ष
- पंकज अवाना – यूथ विंग अध्यक्ष
- कमांडो अशोक – किसान प्रकोष्ठ अध्यक्ष
- फैसल खान लाला – प्रदेश प्रवक्ता
- राम सिंह मौर्या – बरेली जिलाध्यक्ष
- इसके अलावा सुनीता गंगवार, जनक प्रसाद, नदीम अशरफ जायसी, सरबजीत सिंह मक्कड़, अंसार अहमद और विनय सिंह भी टीम का हिस्सा होंगे।
सियासत में गर्माहट, अन्य विपक्षी दलों ने भी उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी अकेली पार्टी नहीं है जिसने इस मामले में सरकार पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) का एक 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी बरेली जाना चाहता था, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे “लोकतंत्र की हताई” बताया।
वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी इस घटना को “सरकार की नाकामी छुपाने के लिए की गई सोची-समझी साजिश” करार दिया है। एआईजेएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बरेली हिंसा को भाजपा की सुनियोजित साजिश बताया।
सरकार के रुख की बात करें तो…
सरकार की तरफ से भी इस मामले पर अपनी बात रखी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने स्पष्ट किया कि “आई लव मोहम्मद” कहने से किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर कोई हिंसा या तोड़फोड़ करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी。 उन्होंने जोर देकर कहा कि कानून सबके लिए बराबर है और तुष्टीकरण नहीं किया जाएगा।
बरेली में अब क्या होगा अगला पड़ाव?
अब सभी की नजरें 7 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल बरेली पहुंचेगा। सवाल यह है कि क्या इस टीम को सपा के प्रतिनिधिमंडल की तरह रोका जाएगा या फिर उसे घटनास्थल का जायजा लेने की अनुमति मिल पाएगी? एक तरफ सरकार कानून व्यवस्था की दुहाई दे रही है, तो दूसरी तरफ विपक्षी दल लोकतांत्रिक अधिकारों में दखल का आरोप लगा रहे हैं। बरेली की इस आग ने सियासत को पूरी तरह गर्म कर दिया है, और यह सिलसिला अभी थमता नजर नहीं आ रहा।

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