मायावती की लखनऊ रैली में जनसैलाब: सपा पर तीखा हमला, 2027 में बसपा की वापसी के संकेत!

लखनऊ (उत्तर प्रदेश), 10 अक्टूबर: क्या राजनीति में कोई पार्टी कभी खत्म होती है? बसपा की आज की रैली ने ये साबित कर दिया कि बहुजन आंदोलन अभी भी जिंदा है और मजबूत हो रहा है।

लखनऊ में आज कांशीराम परिनिर्वाण दिवस के मौके पर बसपा सुप्रीमो मायावती लखनऊ रैली 2025 को संबोधित करते हुए विरोधियों पर जमकर बरसीं। कांशीराम स्थल पर लाखों समर्थकों की भीड़ ने दिखा दिया कि पार्टी का आधार अभी भी मजबूत है, जहां विभिन्न राज्यों से आए कार्यकर्ताओं ने जोश दिखाया। मायावती ने सपा को दोगला बताते हुए पुराने स्मारकों के नाम बदलने का आरोप लगाया, जबकि योगी सरकार की तारीफ की कि उन्होंने स्मारक के रखरखाव में पारदर्शिता बरती। ये रैली 2027 विधानसभा चुनावों के लिए बसपा की तैयारी का साफ संकेत है।

कांशीराम को श्रद्धांजलि: रैली की शुरुआत और मुख्य संदेश

मायावती ने अपना भाषण कांशीराम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके शुरू किया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार जताते हुए कहा कि बसपा सरकार में कांशीराम के सम्मान में बने स्मारकों को सपा ने सत्ता में आते ही नाम बदल दिए। अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मायावती बोलीं कि सत्ता से बाहर होने पर ही इन्हें दलित संतों की याद आती है, लेकिन कुर्सी मिलते ही सब भूल जाते हैं। ये बयान सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारे पर सीधा प्रहार था।

रैली में आकाश आनंद ने भी मंच संभाला और कहा कि बसपा ही दलितों-पिछड़ों को असली आरक्षण लाभ दे सकती है, जैसा पहले की सरकारों में हुआ। उन्होंने 2027 में बसपा की पूर्ण बहुमत सरकार बनाने का दावा किया।

योगी सरकार का आभार, सपा पर आरोपों की बौछार

मायावती ने योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की कि उन्होंने कांशीराम स्मारक की टिकट से आए पैसे को दबाया नहीं, बल्कि रखरखाव पर खर्च किया। ये बात सपा की पूर्व सरकार से तुलना करते हुए कही गई, जहां कथित तौर पर फंड्स का दुरुपयोग हुआ। भाषण में मायावती ने चंद्रशेखर आजाद को भी निशाने पर लिया, उन्हें बहुजन समाज का बहरूपिया बताते हुए कहा कि वो बी-टीम की तरह काम करते हैं और दंगों में प्रभावित युवाओं की मदद नहीं कर सके। समर्थकों ने भी चंद्रशेखर को बहकाने वाला बताया और बसपा को असली हितैषी माना।

समर्थकों का जोश: विभिन्न राज्यों से आए लोग, खुद चंदा करके पहुंचे

रैली में देशभर से बसपा समर्थक जुटे, जिनमें पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और बिहार से लोग शामिल थे। बिहार के भभुआ से आए दूधनाथ राम ने बताया कि 250 समर्थक 150-200 रुपये चंदा देकर आए हैं, क्योंकि बहनजी का मिशन जिंदा रखना जरूरी है। पंजाब से चिंटू कुमार 27 साल बाद 1000 किमी सफर तय करके पहुंचे, याद करते हुए कहा कि मायावती सरकार में उनके खेत पर कब्जा हटवाया गया।

समर्थकों का जोश: विभिन्न राज्यों से आए लोग, खुद चंदा करके पहुंचे
रैली में उमड़ी बसपा कार्यकर्ताओं की भीड़।

लखीमपुर के गौतम ने गुंडों-माफियाओं पर लगाम लगाने वाले शासन की तारीफ की, जबकि हरियाणा के देशराज ने 700 किमी सफर बहुजन आंदोलन के लिए किया। महिलाएं और बच्चे भी बड़ी संख्या में मौजूद थे, जो पहली बार लखनऊ आए थे। चारबाग स्टेशन पर सहायता बूथ लगे, जहां बसपा गीत बज रहे थे।

बसपा की रणनीति: 2027 चुनावों पर फोकस और संगठन की मजबूती

आकाश आनंद ने रैली को 2027 की तैयारी बताया, जहां बसपा न सिर्फ यूपी में बहुमत बनाएगी बल्कि अन्य राज्यों में हिस्सेदारी करेगी। समर्थकों का नारा ‘न्याय, विकास और समान अधिकार, अबकी बार बहनजी की सरकार’ गूंजा।

श्रावस्ती के सज्जाद ने कहा कि बसपा सिर्फ दलितों की नहीं, सर्वसमाज की पार्टी है। बक्सर के ललित ने चंद्रशेखर को बहरूपिया बताते हुए कांशीराम-आंबेडकर के मार्ग पर चलने की बात की। रैली में अनुशासन देखते बनता था, कोई हुड़दंग नहीं। पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए, शहर में जाम लगा रहा।

राजनीतिक मायने: बसपा की वापसी और विरोधियों में खलबली

राजनीतिक मायने: बसपा की वापसी और विरोधियों में खलबली
कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर बसपा की मेगा रैली।

ये रैली बसपा की लंबे समय बाद सक्रियता दिखाती है, जहां लाखों की भीड़ ने साबित किया कि पार्टी का आधार कमजोर नहीं हुआ। समर्थकों का कहना है कि मायावती किसी के सामने नहीं झुकीं और उनके शासन में गरीबों को मकान, रोजगार, जमीन मिली। गुंडागर्दी खत्म हुई, कानून का राज कायम रहा। चंद्रशेखर जैसे नेताओं पर आरोप लगे कि वो बहुजन हितैषी नहीं।

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कुल मिलाकर, ये आयोजन 2027 में बसपा की मजबूत दावेदारी का ऐलान है, जो सपा-बीजेपी की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।


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