UP पंचायत चुनाव 2026: 12 लाख नकली वोटरों का खुलासा, मतदाता सूची में बड़ा सफाया!

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोकतंत्र की नींव हिलाने वाली खबर आ रही है। 12 करोड़ मतदाताओं वाली इस विशाल सूची में छिपे राज खुलने से चुनावी हलचल तेज हो गई है।

UP पंचायत चुनाव 2026 के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण राज्य चुनाव आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। आयोग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों को शक है कि राज्य में कम से कम 50 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम एक से ज्यादा मतदान केंद्रों पर दर्ज हैं। अब तक की कार्रवाई में 12 लाख से ज्यादा नकली या डुप्लिकेट वोटरों का पता चला है, और इनमें से 1.63 लाख नाम स्थायी रूप से हटा दिए गए हैं। यह सफाई अभियान ग्रामीण स्तर पर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) की मेहनत से चल रहा है, जो हर गांव-गांव पहुंचकर सत्यापन कर रहे हैं।

UP पंचायत चुनाव 2026: मतदाता सूची सफाई की चुनौतियां

ग्रामीण भारत की रीढ़ माने जाने वाले पंचायत चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह पुनरीक्षण बेहद जरूरी है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई मामलों में एक ही व्यक्ति का नाम दो-तीन बूथों पर मिला, जो चुनावी धांधली का बड़ा संकेत है। BLO को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे डुप्लिकेट एंट्रीज को तुरंत चिह्नित करें और उन मतदाताओं की तलाश करें जो अपने पंचायत क्षेत्र से बाहर चले गए हैं। इसके साथ ही, अगले साल वोटिंग की उम्र पूरी करने वाले युवाओं का नामांकन भी जोरों पर है।

नकली वोटरों पर कार्रवाई का असर

इस अभियान से पंचायती राज व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा, लेकिन प्रक्रिया आसान नहीं है। ग्रामीण और शहरी सीमाओं पर बसे इलाकों में नए घर बसाने वाले वोटरों की जांच विशेष रूप से मुश्किल साबित हो रही है।

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आयोग ने इनकी जगहों का सत्यापन शुरू कर दिया है, ताकि जनवरी तक कोई गड़बड़ी न बचे। राज्य निर्वाचन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने हाल ही में सभी जिला अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की, जिसमें पुनरीक्षण की पूरी तैयारी पर जोर दिया गया। उनका कहना था कि 12 करोड़ वोटरों की जांच में अभी एक महीना और लगेगा, लेकिन लक्ष्य साफ है – एक स्वच्छ सूची।

पंचायत चुनाव व्यय सीमा: उम्मीदवारों के लिए नई सीमाएं

UP पंचायत चुनाव 2026 को निष्पक्ष बनाने के लिए आयोग ने उम्मीदवारों की जेब पर भी लगाम कसी है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदार अधिकतम 7 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे, जबकि ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए यह सीमा सिर्फ 10,000 रुपये है। आयोग के पत्र में स्पष्ट किया गया कि ग्राम प्रधान पद पर 1.25 लाख, क्षेत्र पंचायत सदस्य पर 1 लाख, जिला पंचायत सदस्य पर 2.5 लाख और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पर 3.5 लाख तक ही खर्च की अनुमति होगी।

BLO की भूमिका और समयसीमा

ये सीमाएं जिला निर्वाचन अधिकारियों को सख्ती से लागू करने के निर्देश के साथ भेजी गई हैं। BLO इस पूरे ताने-बाने का केंद्र बिंदु हैं – वे न सिर्फ सूची साफ कर रहे हैं, बल्कि चुनावी खर्च पर भी नजर रखने को तैयार हैं। आयोग का लक्ष्य 15 जनवरी 2026 तक अंतिम मतदाता सूची जारी करना है, जिसके बाद अप्रैल-जुलाई के बीच चुनाव की तारीखें तय होंगी।

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उत्तर प्रदेश के इन पंचायत चुनावों पर नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह न सिर्फ ग्रामीण विकास की दिशा तय करेगा, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का भी आईना बनेगा। अपडेट्स के लिए बने रहें।

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