RPF परीक्षा के बाद ट्रेन हादसा: बेटी ने खोए दोनों पैर, पिता ने दिखाया साहस

चलती ट्रेन से गिरने का एक भयावह हादसा एक युवती के सपनों और जीवन को हमेशा के लिए बदलकर रख गया है। यह घटना उस समय की है जब हाथरस की 21 वर्षीय फूलमाला रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की परीक्षा देकर लौट रही थीं। इस RPF परीक्षा ट्रेन हादसे ने न सिर्फ उनके शरीर को, बल्कि उनके पूरे भविष्य के रास्ते को एक पल में बदल दिया।

क्या हुआ था घटना का पूरा सिलसिला?

गुरुवार की दोपहर दादरी स्टेशन के पास यह दुर्घटना घटी। फूलमाला, जिन्होंने पिछले साल स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी, RPF सिपाही भर्ती के लिए दादरी में हुए फिजिकल टेस्ट में शामिल हुई थीं। उनके साथ उनके पिता रमेश चंद्र भी गए थे। परीक्षा के बाद दोनों हाथरस लौटने के लिए एक स्पेशल ट्रेन में सवार हो गए।

रेलवे पुलिस को दिए बयान में पिता रमेश चंद्र ने बताया कि रास्ते में फूलमाला की तबीयत खराब हो गई और उन्हें उल्टी आने लगी। वह ट्रेन के गेट के पास लगे बेसिन की ओर गईं, तभी संतुलन बिगड़ने से वह चलती ट्रेन से नीचे जा गिरीं। इस गिरावट की वजह से ट्रेन के पहियों के नीचे आने से उनके दोनों पैर कट गए।

पिता का साहस: बेटी को बचाने के लिए खुद कूदे ट्रेन से

जैसे ही फूलमाला ट्रेन से गिरीं, उनके पिता ने बिना एक पल गंवाए, अपनी जान की परवाह किए बगैर, चलती ट्रेन से छलांग लगा दी। यह एक पिता का अपनी बेटी के लिए अगाध प्रेम और साहस का प्रतीक था। इस छलांग के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गए और लहूलुहान हो गए। यह दृश्य किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाला था।

अपंगता के बाद भी अदम्य साहस: ‘पहले पापा का इलाज कराओ’

इस भीषण RPF परीक्षा ट्रेन हादसे के बाद का सबसे मार्मिक पहलू फूलमाला का अदम्य साहस था। दोनों पैर गंवा चुकी और लहूलुहान हालत में भी, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह खुद ही घिसटकर पटरी के किनारे बैठ गईं और मदद का इंतजार करने लगीं। जब मदद पहुंची और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तब भी वह बार-बार डॉक्टरों से अपने पिता का हाल पूछती रहीं और उनके इलाज को प्राथमिकता देने का आग्रह करती रहीं।

रेलवे प्रशासन की कार्रवाई और इलाज

दुर्घटना की सूचना मिलते ही अलीगढ़ स्टेशन से RPF की टीम मौके पर पहुंची। एएसआई नरेंद्र सिंह और उनके साथियों ने तत्काल घायल पिता-बेटी को अलीगढ़ लाकर जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने फूलमाला का ऑपरेशन करके उनके एक पैर को सफलतापूर्वक जोड़ दिया है, जो कुछ दिनों में काम करने लगेगा। हालांकि, दूसरा पैर पूरी तरह से अलग हो जाने के कारण उसे नहीं बचाया जा सका।

इस RPF परीक्षा ट्रेन हादसे ने छुआ सवाल, मगर छोड़ी सीख

यह घटना रेल यात्रा के दौरान सुरक्षा के मानकों पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। वहीं, दूसरी ओर, एक युवती का जीवटता से भरा व्यवहार और एक पिता का त्याग, मानवीय संवेदनाओं और साहस की एक मिसाल बन गया है। फूलमाला का RPF में जाने का सपना इस हादसे के बाद अधूरा रह गया, लेकिन उनकी जिंदगी की नई लड़ाई में उनका और उनके पिता का साहस उनके साथ है। रेलवे प्रशासन द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई ने निस्संदेह उनकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।

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