शांति का नोबेल 2025: वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’ मारिया कोरिना माचाडो ने जीता प्रतिष्ठित सम्मान, ट्रंप रहें बाहर

वेनेजुएला की जनता की आवाज़ को मिला वैश्विक सम्मान

आज दुनिया ने एक ऐसी महिला की जीत का जश्न देखा, जो अपने ही देश में तानाशाही के खिलाफ लड़ते हुए छिपने को मजबूर है। वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को वर्ष 2025 का शांति का नोबेल 2025 पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है । नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने इस फैसले से दुनिया भर में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों को एक मजबूत संदेश दिया है। यह पुरस्कार केवल एक व्यक्ति के संघर्ष का नहीं, बल्कि उन लाखों वेनेजुएलावासियों की उम्मीदों का प्रतीक है, जो एक न्यायसंगत और शांतिपूर्ण भविष्य की कामना करते हैं।

नोबेल समिति ने सुनाई माचाडो की जंग की कहानी

नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने ओस्लो में इस ऐतिहासिक फैसले की घोषणी करते हुए माचाडो के योगदान को रेखांकित किया। समिति ने कहा कि उन्हें “वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के उनके अथक संघर्ष” के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के कई हिस्सों में जब लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, माचाडो जैसे लोगों का साहस ही उम्मीद जगाता है।

इंजीनियर से लोकतंत्र की सेनानी बनीं मारिया कोरिना माचाडो

मारिया कोरिना माचाडो ने एक इंजीनियर और बिजनेसवुमन के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उनकी असली पहचान समाज सेवा और देश के लिए काम करने में निखर कर सामने आई। उनका राजनीतिक सफर साल 2001 में शुरू हुआ, जब उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा देने वाले संगठन ‘सुमाते’ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। साल 2011 में वह वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की सदस्य चुनी गईं, लेकिन 2014 में सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया। इसके बाद से ही उन्होंने ‘वेंटे वेनेजुएला’ पार्टी के जरिए निकोलस मादुरो सरकार के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया।

तानाशाही के खिलाफ संघर्ष और पुरस्कारों का सफर

माचाडो के अथक संघर्ष को पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा जा चुका है। नोबेल से पहले मिले प्रमुख सम्मानों में शामिल हैं :

पुरस्कारवर्षकर्तृत्व / संगठन
नोबेल शांति पुरस्कार2025नॉर्वेजियन नोबेल समिति
सखारोव पुरस्कार2024यूरोपीय संसद
वाच्लाव हावेल मानवाधिकार पुरस्कार2024काउंसिल ऑफ यूरोप
करेज अवॉर्ड2025जेनेवा समिट फॉर ह्यूमन राइट्स
बीबीसी की 100 महिलाएं2018बीबीसी

नोबेल समिति ने गिनाए माचाडो के तीन बड़े योगदान

नोबेल समिति ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि माचाडो ने पुरस्कार के तीनों मापदंडों को पूरा किया है:

  1. विपक्ष को एकजुट करना: माचाडो कभी बंटे रहने वाले विपक्ष में एक ऐसी एकजुट करने वाली शक्ति बनकर उभरीं, जिसने स्वतंत्र चुनावों और प्रतिनिधि सरकार की मांग रखी।
  2. सैन्यकरण के खिलाफ खड़े रहना: उन्होंने लगातार सैन्यकरण और दमनकारी ताकतों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
  3. लोकतांत्रिक भविष्य की उम्मीद जगाना: उन्होंने वेनेजुएला के लोगों के मन में एक ऐसे भविष्य की उम्मीद जगाई, जहां उनके मौलिक अधिकार सुरक्षित हों और वे आजादी व शांति से जी सकें।

2024 के चुनाव और उम्मीदवारी रद्द होने का विवाद

साल 2023 में हुए विपक्षी प्राइमरी में जबर्दस्त जीत हासिल करने के बाद माचाडो 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की मुख्य उम्मीदवार थीं । हालांकि, मादुरो सरकार ने उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी जगह कोरिना योरिस और फिर एडमंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया। जुलाई 2024 में हुए चुनाव के बाद विपक्ष ने जीत का दावा किया, लेकिन सत्ता पक्ष ने परिणाम स्वीकार नहीं किए, जिसके बाद देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए और सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए।

ट्रंप की दावेदारी को मिला झटका

इस साल का शांति का नोबेल 2025 पुरस्कार इसलिए भी चर्चा में रहा, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से खुलकर इस सम्मान की इच्छा जता रहे थे। उन्होंने कई बार दावा किया था कि अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में मध्यस्थता के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कम से कम आठ देशों ने उन्हें नोबेल के लिए नामित भी किया था। लेकिन अंततः नोबेल समिति ने एक ऐसी महिला को चुना, जो खुद अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रही एक सरकार के खिलाफ संघर्ष का चेहरा हैं।

लोकतंत्र की इस जीत को पूरी दुनिया में मिली सराहना

मारिया कोरिना माचाडो को शांति का नोबेल 2025 मिलना केवल एक पुरस्कार से कहीं आगे की घटना है। यह उन सभी लोगों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है, जो दमन और तानाशाही के खिलाफ खड़े हैं। जिस तरह पिछले वर्षों में नेल्सन मंडेला और मलाला यूसुफजई जैसे लोगों को यह पुरस्कार मिलकर उनके मिशन को नई ऊर्जा मिली, उसी तरह यह सम्मान माचाडो और पूरे वेनेजुएला के विपक्ष के संघर्ष को एक नई ताकत देगा। यह घोषणा पूरे वेनेजुएला और वैश्विक मंच पर गूंज रही है, जो इस बात का सबूत है कि सच्ची लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को दबाया नहीं जा सकता।

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