गोरखपुर का ‘साइको किलर’ अजय निषाद: प्यार में धोखे ने बनाया महिलाओं का दुश्मन, काले कपड़े और DJ की आवाज़ें हैं अब भी साथी

गोरखपुर का ‘साइको किलर’ अजय निषाद: प्यार में धोखे का बदला लेने निकला था ‘काला शिकारी’! अब है सलाखों के पीछे। परिजन कहते मासूम, हालात का मारा है। उम्र महज़ 21 वर्ष।

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), 16 अक्टूबर: यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसके मन में प्यार में मिले धोखे ने इतनी गहरी नफरत भर दी कि वह ‘साइको किलर’ बन गया। नाम है अजय निषाद। गोरखपुर के इलाके में एक वक्त डर का पर्याय बना यह शख्स अब जेल की सलाखों के पीछे है, लेकिन उसकी आदतें और मनोवृत्ति आज भी उसी काले अध्याय को जी रही है। जेल में बंद अजय निषाद आज भी काले कपड़े मांगता है और रातों को DJ की आवाजें निकालकर अपना वक्त गुजारता और अन्य कैदियों का मनोरंजन करता है।

कौन है गोरखपुर का ‘साइको किलर’ अजय निषाद? जेल में भी क्यों मांगता है काले कपड़े?

गोरखपुर का साइको किलर के नाम से कुख्यात अजय निषाद की उम्र महज 21 साल है। जेल अधिकारियों के मुताबिक, वह शांत रहता है लेकिन उसकी हरकतों पर नजर रखी जा रही है। जब भी कोई परिजन उससे मिलने आता है, उसकी एक ही जिद होती है – उसके लिए काले रंग के कपड़े लेकर आना। वह रात में देर तक जागता है और अपने पुराने पेशे को याद करते हुए मुंह से DJ जैसी आवाजें निकालकर दूसरे कैदियों को ‘एंटरटेन’ करता है। यह उसका वह शौक है जो जेल की दीवारों के भीतर भी उसका पीछा नहीं छोड़ रहा।

प्यार में धोखे ने बदला इंसान को ‘खुंखार अपराधी’

अजय निषाद की जिंदगी का पन्ना पलटें, तो पता चलता है कि 2022 में एक लड़की से रिश्ते और उसके बाद मिले धोखे ने उसकी जिंदगी का रुख ही बदल दिया। अजय निषाद ने स्वीकार किया था कि उसने लड़की को प्रपोज किया था और उसने हां कह दी थी।

लेकिन जब वह उससे मिलने उसके घर गया, तो घरवालों ने उसे पकड़कर पीटा और उस पर रेप का झूठा आरोप लगा दिया। इस मामले में उसे 6 महीने जेल में भी रहना पड़ा। जमानत पर छूटने के बाद घरवालों ने उसे सूरत भेज दिया, लेकिन तब तक उसके मन में लड़कियों के प्रति गहरी नफरत बैठ चुकी थी।

काले कपड़े, नंगे पांव और डंडे से हमला… जानिए उसके ‘शिकार’ का तरीका

अजय निषाद ने अपने अपराधों को अंजाम देने के लिए एक खास मॉडस ऑपरेंडी अपनाया। वह रात के अंधेरे का फायदा उठाता। हमला करने से पहले वह हमेशा काले रंग के कपड़े पहनता और नंगे पांव रहता ताकि आसानी से भाग सके और उसकी आवाज़ न सुनाई दे।

अजय निषाद ऐसे घरों को निशाना बनाता था, जहां आस-पास सन्नाटा होता। महिलाओं के सिर पर डंडे या लोहे की रॉड से वार करता और कई मामलों में उनके चेहरे तक बिगाड़ देता था। उसने पुलिस को बताया था कि पहली बार जब उसने एक महिला को मारा और उसे तड़पते देखा, तो उसे एक अजीब सुकून मिला। यही फीलिंग उसे बार-बार ऐसे जुर्म करने पर मजबूर करती रही।

छह महीने तक गांव में क्यों थरथराती थीं रूहें?

गोरखपुर के झंगहा का राजधानी मंगलपुर टोला और आस-पास के इलाकों में साल 2024 की दूसरी छमाही में एक अज्ञात हमलावर ने दहशत फैला रखी थी। रात होते ही गांव की गलियां सुनसान हो जातीं, महिलाएं डर के मारे घरों में दुबकी रहतीं और पुरुष लाठी-डंडे लेकर पहरा देते। कारण था एक के बाद एक महिलाओं पर हो रहे हैरतअंगेज हमले। पुलिस लगातार छह महीने तक इस मामले में जुटी रही, लेकिन सुराग नहीं मिल पा रहे थे। आखिरकार, नवंबर 2024 में पुलिस ने अजय निषाद को गिरफ्तार कर लिया और इस सिलसिले पर विराम लगा।

‘मैं शनिदेव का भक्त हूं, कोई कुछ नहीं कर सकता’

गिरफ्तारी के बाद अजय निषाद ने जो बयान दिया, वह हैरान करने वाला था। उसने खुद को शनिदेव का भक्त बताया और काले कपड़े पहनने की वजह अपनी आस्था से जोड़ी। उसने दावा किया कि उसे अंग्रेजी बोलनी आती है और वह स्कूल का टॉपर रह चुका है। उसकी इस ‘पढ़ाई’ का इस्तेमाल उसने अपने जुर्म को अंजाम देने में किया। उसने माना कि वह उन्हीं रास्तों और इलाकों को चुनता था, जहां सीसीटीवी कैमरों की जानकारी उसे होती थी, ताकि पकड़ा न जा सके।

मासूम बेटा है, हालात का मारा’… परिजनों का दावा और जेल की रिपोर्ट

अजय के परिजन उसे ‘मासूम’ और ‘हालात का मारा’ बता रहे हैं। जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय के मुताबिक, अजय अक्सर अपने परिजनों से पूछता है कि वह कब बाहर आएगा। परिजन उसे दिलासा देते हैं कि बेल हो जाएगी और सब ठीक हो जाएगा। हालांकि, जेल प्रशासन उसकी हरकतों पर पैनी नजर बनाए हुए है।

एक तरफ जहां उसके परिवार वाले उसे बरी कराने की कोशिश में हैं, वहीं उन महिलाओं की जिंदगी पर लगे जख्मों के निशान आज भी इस पूरी ट्रैजिक स्टोरी को जी रहे हैं, जो किसी दिन अंधेरी रात में काले कपड़ों वाले किसी शख्स का सामना कर चुकी हैं।

(यह खबर विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स, आधिकारिक सूत्रों और जांच दस्तावेजों पर आधारित है।)

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