देवरिया (उत्तर प्रदेश), 13 अक्टूबर: महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज की टंकी में मिले इंजीनियर के शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आज एक और बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल महाराष्ट्र के रहने वाले इंजीनियर अशोक गवांडे के शव पर कई जगहों पर चोटों के स्पष्ट निशान मिले। इसके साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण एंटीमॉर्टम स्मदरिंग यानी दम घुटना बताया गया है।
यह वह कहानी है जो एक ‘गायब’ होने की सूचना से शुरू हुई और एक ठंडे दिल की हत्या के रहस्यमय मोड़ तक पहुंच गई। देवरिया का महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज अब एक ऐसी हृदयविदारक घटना का केंद्र बन गया है, जिसने पूरे जनपद में सनसनी फैला दी है। इंजीनियर अशोक गवांडे हत्या का मामला अब सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सवालों के घेरे में लिपटा एक गहरा रहस्य बन चुका है।
क्या है पूरा मामला? घटनाक्रम पर एक नजर
देवरिया के महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज में मरीजों ने पानी से आ रही दुर्गंध की शिकायत की थी जिसके बाद ओपीडी की पांचवीं मंजिल पर मौजूद पानी की टंकी में जब सफाई कर्मी पहुंचे, तो उनकी सांसे थम गईं। दरअसल टंकी के अंदर एक इंसान का सड़ा-गला शव तैर रहा था। यह घटना 6 अक्टूबर की है, जिसने पूरे जिले में सनसनी फैला दी।
मेडिकल कॉलेज की टंकी में शव मिलने की ख़बर से पूरे अस्पताल में हड़कम्प मच गया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव की पहचान का काफी प्रयास किया। करीब एक सप्ताह तक अज्ञात रहने के बाद आखिरकार शव की पहचान केमिकल इंजीनियर अशोक गवांडे के रूप में हुई जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कुलगांव के रहने वाले थे।
“मृतक महाराष्ट्र के ठाणे जिले से 1,718 किमी दूर कैसे देवरिया पहुंचा, इस पहेली का हल खोजने पर पता चला कि अशोक गवांडे की ससुराल गोरखपुर में है।”
परिजनों के मुताबिक, अशोक पहले एक केमिकल इंजीनियर थे और उन्होंने अपनी फैक्ट्री भी लगाई थी, लेकिन व्यवसाय में नुकसान के बाद से वे मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे। पिछले चार साल से वह परिवार से अलग रह रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि घटना से कुछ दिन पहले 22 सितंबर को अशोक गोरखपुर में अपने ससुराल वालों से मिले थे और मुंबई जाने की बात कहकर निकले थे। इसके बाद 25 सितंबर को वह देवरिया में देखे गए और एक स्थानीय युवक ने उन्हें सड़क किनारे बीमार पड़े देखकर 108 एंबुलेंस से उसी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में भर्ती कराया था। उनके एक पैर में गहरा घाव था।
मेडिकल कॉलेज की लापरवाही पर उठे सवाल
अशोक गवांडे 27 सितंबर को अस्पताल के सर्जिकल वार्ड से गायब हो गए थे। एक भर्ती मरीज के गायब होने की सूचना न तो प्रशासन ने पुलिस को दी और न ही कोई तलाशी अभियान चलाया गया। भर्ती मरीज की अनदेखी व सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक की इस घटना ने मेडिकल कॉलेज की लापरवाही को उजागर कर दिया। जिसके बाद लापरवाही को गंभीर मानते हुए योगी सरकार ने तत्काल प्रभाव से मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजेश बरनवाल को हटा दिया।
शुरुआत दुर्घटना की अफवाह से हुई।
शुरुआत में अफवाहों का दौर शुरू हुआ, कि शायद अशोक गवांडे की दुर्घटनावश गिरने से मौत हुई होगी। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, सच्चाई का एक भयावह चेहरा सामने आने लगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने झटके में उड़ा दिए सभी ‘हादसे’ के दावे
इस मामले की सबसे बड़ी कड़ी और सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब तीन डॉक्टरों के एक पैनल ने अशोक गवांडे के शव का पोस्टमार्टम किया। रिपोर्ट ने साफ-साफ इशारा किया कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक:
- मौत का कारण: एंटीमॉर्टम स्मदरिंग यानी दम घुटने से मौत। इसका सीधा मतलब है कि मौत से पहले जानबूझकर उनका दम घोंटा गया।
- शरीर पर मिले निशान: शव पर कई जगहों पर चोटों के स्पष्ट निशान मिले। चेहरे, पेट और सिर पर गंभीर चोटों के निशान हैं, जो जबरदस्त हिंसा की गवाही दे रहे हैं।
ये चौंकाने वाले तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि इंजीनियर अशोक गवांडे की जान लेने के बाद ही उनके शव को पानी की टंकी में फेंका गया, ताकि मामले को दुर्घटना बताया जा सके।
अबूझ पहेली बनते जा रहे हैं सवाल, जवाब तलाशती है देवरिया
इस पूरे मामले ने कई गंभीर सवालों को जन्म दिया है, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं। ये सवाल प्रशासन और पुलिस कार्यवाही पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हैं:
- टंकी तक पहुंच कैसे बनी? मेडिकल कॉलेज जैसे सुरक्षित परिसर में एक इंजीनियर का शव एक बंद और ऊंची टंकी में कैसे पहुंचा? क्या यह काम अकेले एक व्यक्ति के बूते की बात है?
- वार्ड से गायब होने की सूचना क्यों नहीं? अशोक गवांडे अस्पताल के एक वार्ड से पहले गायब हुए थे। यह एक गंभीर मामला था, लेकिन इसकी सूचना पुलिस को तुरंत क्यों नहीं दी गई? इस देरी ने क्या अपराधियों को सफाई का मौका दे दिया?
- FIR दर्ज न होना: सबसे बड़ा सवाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि के बावजूद अभी तक हत्या का मुकदमा (FIR) दर्ज क्यों नहीं किया गया है? क्या यह देरी जांच में रुकावट पैदा कर रही है?
सिस्टम पर उठ रहे हैं सवाल
देवरिया का यह मामला अब सिर्फ एक हत्या का केस नहीं रह गया है। यह हमारे सिस्टम की जांच की कसौटी बन गया है। एक इंजीनियर की रहस्यमयी मौत, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और पुलिस की देरी… ये सभी पहलू मिलकर एक ऐसी तस्वीर बना रहे हैं जिसने जनता के मन में गुस्सा और डर दोनो पैदा कर दिया है।
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