देवरिया ज़िलें के सलेमपुर इलाके में रात के सन्नाटे को चीरती गोली की आवाज ने सबको चौंका दिया। एक गैंगस्टर ने न सिर्फ पुलिस हिरासत से फरार होने की हिम्मत दिखाई, बल्कि उपनिरीक्षक की सरकारी पिस्टल भी छीन ली। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई – कुछ ही घंटों बाद उसी अपराधी को पैर में गोली लगकर गिरफ्तार कर लिया गया।
देवरिया में पुलिस मुठभेड़: घटना की शुरुआत कैसे हुई?
देवरिया जिले में अपराध पर लगाम कसने के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत सलेमपुर पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के वांछित आरोपी राजेश यादव को पहले ही हिरासत में ले लिया था। राजेश, जो जगदीशपुर थाना जहांगीरगंज, अम्बेडकर नगर का निवासी है, थाना लार में दर्ज मामले का मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, रात के समय हुई इस कार्रवाई में टीम ने बिना किसी झड़प के उसे पकड़ लिया। लेकिन यहीं से मामला उलटा पड़ गया।
गिरफ्तारी के बाद राजेश ने अचानक पेट दर्द की शिकायत की। फौरन इंतजाम करते हुए पुलिस टीम उसे सलेमपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जा रही थी। रास्ते में मौका पाते ही आरोपी ने उपनिरीक्षक की कमर से बंधी पिस्टल को छीन लिया। इतना ही नहीं, उसने तुरंत फायरिंग भी शुरू कर दी और अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकला। यह देखकर स्थानीय लोग हैरान थे – आखिर कैसे इतनी आसानी से सरकारी हथियार हाथ लग गया?
पिस्टल छीनने की घटना: सुरक्षा में चूक के संकेत
पुलिस रिपोर्ट्स के अनुसार, पिस्टल होल्स्टर में रस्सी से बंधी हुई थी, फिर भी आरोपी ने उसे निकाल लिया और फायरिंग की। भागने के बाद सूचना फैलते ही देवरिया पुलिस ने पूरे इलाके में नाकाबंदी कर दी। चारों तरफ से घेराबंदी के बीच चकरवा-बहोरदास मार्ग पर आरोपी को फिर से घेर लिया गया। यहां हुई मुठभेड़ में राजेश के दाहिने पैर में गोली लग गई, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। घायल आरोपी को तुरंत देवरिया मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
मौके से बरामद सामान में एक 9 एमएम की सरकारी पिस्टल, एक खोखा कारतूस और सात जिंदा कारतूस शामिल हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि अंधेरे में खोखा कारतूस इतनी आसानी से कैसे मिल गया? गोली चलने पर खोखा आमतौर पर दूर तक छिटक जाता है। पुलिस इसे अपनी बड़ी सफलता बता रही है, मगर हिरासत में हथियार छीने जाने की यह घटना सुरक्षा प्रोटोकॉल पर कई सवाल खड़े कर रही है।
शामिल पुलिस टीम और कार्रवाई का इंतजार
इस पूरी ऑपरेशन में थाना लार के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार सिंह, सर्विलांस सेल के निरीक्षक सादिक परवेज, सलेमपुर थानाध्यक्ष महेंद्र कुमार चतुर्वेदी के अलावा उपनिरीक्षक धर्मेंद्र मिश्र, उपनिरीक्षक रंजय कुमार और कई कांस्टेबल जैसे संदीप गहलौत, सूरज खरवार, रितेश सोनकर, अरविंद मौर्य, विनोद पाल व अभिषेक यादव शामिल थे। एसपी देवरिया के निर्देश पर शुरू हुई यह कार्रवाई अब जांच के दायरे में है।
उत्तर प्रदेश पुलिस में ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं, जहां अपराधी हिरासत के दौरान हथियार हथियाने की कोशिश करते दिखे। देवरिया पुलिस मुठभेड़ की यह कड़ी अब डीजीपी स्तर पर भी नजरों में है। क्या इस लापरवाही पर कोई ठोस कदम उठेगा, यह तो वक्त बताएगा।
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