caller name display service: TRAI की नई सुविधा – अनजान कॉल पर दिखेगा कॉलर का असली नाम, फ्रॉड पर लगेगी लगाम!

Caller Name Display Service: क्या आपने कभी अनजान नंबर से आने वाली कॉल पर झिझक महसूस की है? अगर महसूस की है तो अब ये झिझक दूर होने वाली है, क्योंकि TRAI की नई सुविधा से कॉलर का असली नाम सीधे आपके फोन पर दिखेगा।

मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने दूरसंचार विभाग (DoT) के उस प्रस्ताव पर हामी भर दी है, जिसमें कॉलर नाम डिस्प्ले सर्विस को सभी यूजर्स के लिए डिफॉल्ट रूप से एक्टिव रखने की बात कही गई है। Caller Name Display Service सुविधा के तहत, जब कोई आपको फोन करेगा, तो उसके रजिस्टर्ड नाम की जानकारी आपके मोबाइल स्क्रीन पर नजर आएगी, भले ही वो नंबर आपके कॉन्टैक्ट्स में सेव न हो।

क्या है Caller Name Display Service (कॉलर नाम डिस्प्ले सर्विस) और कैसे काम करेगी?

कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) नाम की ये सर्विस असल में एक सप्लीमेंट्री फीचर है, जो टेलीकॉम ऑपरेटर्स द्वारा मुहैया कराई जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, Caller Name Display Service सुविधा 4G और 5G जैसे एडवांस्ड नेटवर्क पर काम करेगी, जहां तकनीकी रूप से इसे लागू करना आसान है। पुराने 2G या 3G यूजर्स को फिलहाल ये फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि उन नेटवर्क्स में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।

DoT ने हाल ही में टेलीकॉम कंपनियों को CNAP का पायलट टेस्टिंग शुरू करने के निर्देश दिए हैं, जो अगले एक हफ्ते में लॉन्च हो सकती है। इस दौरान, ऑपरेटर्स जैसे रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया अपने नेटवर्क पर इस फीचर की टेस्टिंग करेंगे, ताकि रोलआउट से पहले किसी तरह की दिक्कत न आए।

TRAI और DoT के बीच क्या हुआ समझौता?

शुरुआत में TRAI ने फरवरी 2024 में अपनी सिफारिशों में कहा था कि CNAP सर्विस सिर्फ उन कस्टमर्स को दी जाए, जो खुद इसकी मांग करें। लेकिन DoT का मानना था कि इसे सभी के लिए अनिवार्य रूप से चालू रखा जाए, और जो नहीं चाहें, वे इसे डिसेबल करवा सकें। अब TRAI ने DoT के इस विचार से सहमति जता दी है, जिससे इस सर्विस का रास्ता साफ हो गया।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये बदलाव साइबर क्राइम को रोकने के लिए उठाया गया कदम है। खासकर फेक कॉल्स, डिजिटल अरेस्ट स्कैम और फाइनेंशियल फ्रॉड जैसी घटनाओं में कमी आएगी, क्योंकि कॉलर की पहचान पहले से पता चल जाएगी।

फ्रॉड कॉल्स और साइबर क्राइम पर कितना असर पड़ेगा?

देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए ये सुविधा काफी कारगर साबित हो सकती है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि लाखों लोग हर साल अनजान कॉल्स से ठगे जाते हैं। CNAP के जरिए, रिसीवर को कॉल उठाने से पहले ही कॉलर की असली आईडेंटिटी पता चल जाएगी, जिससे संदिग्ध कॉल्स को इग्नोर करना आसान हो जाएगा।

हालांकि, Caller Name Display Service इसमे प्रावधान भी रखे गए हैं। मसलन, अगर कोई यूजर ‘कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन रेस्ट्रिक्शन’ (CLIR) सुविधा ले रखा है, तो उसका नाम डिस्प्ले नहीं होगा। ये प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए किया गया फैसला है।

कब से मिलेगी ये सुविधा और क्या होंगे बदलाव?

DoT और TRAI के बीच सहमति बनने के बाद, अब मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स मिनिस्ट्री के साथ मिलकर छह महीने के अंदर इस सर्विस को लागू करने की योजना बनाई जा रही है। टेलीकॉम कंपनियों ने पहले ही CNAP के ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं, और अब पायलट प्रोजेक्ट से फीडबैक लेकर फाइनल रोलआउट होगा।

यूजर्स के लिए अच्छी खबर ये है कि Caller Name Display Service फीचर फ्री में उपलब्ध होगा, और अगर कोई इसे बंद करवाना चाहे, तो ऑपरेटर से संपर्क कर सकता है। आने वाले दिनों में, ये बदलाव टेलीकॉम सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाएगा और यूजर्स की सुरक्षा को मजबूत करेगा।

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इस नई पहल से टेलीकॉम यूजर्स को रोजमर्रा की कॉल्स में ज्यादा भरोसा मिलेगा, और फ्रॉड की घटनाओं में गिरावट की संभावना बनेगी।

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