कानपुर, एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह है लव जिहाद का एक सनसनीखेज मामला। शहर में एक युवती ने सरताज उर्फ सोनू नामक युवक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। युवती का दावा है कि सरताज ने अपनी असली पहचान छिपाकर उसे प्रेमजाल में फंसाया, 10 महीने तक लिव-इन में रखा और फिर ॐ टैटू हटाने और धर्म परिवर्तन की शर्त पर निकाह का दबाव डाला। यह मामला न केवल कानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। आइए, इस मामले की गहराई में उतरकर सच को समझें।
प्रेम के नाम पर छल: सरताज उर्फ सोनू की असलियत
कानपुर के एक शांत इलाके में रहने वाली 25 वर्षीय युवती की जिंदगी उस वक्त उथल-पुथल में बदल गई, जब उसकी मुलाकात सरताज उर्फ सोनू से हुई। युवती का आरोप है कि सरताज ने खुद को हिंदू बताकर उसका विश्वास जीता और रिश्ते को प्रेम की पराकाष्ठा तक ले गया। दोनों ने 10 महीने तक लिव-इन रिलेशनशिप में समय बिताया, लेकिन जैसे ही युवती को सरताज की असली पहचान का पता चला, उसका सपनों का महल ढह गया। सरताज ने कथित तौर पर शादी की बात तो उठाई, लेकिन शर्त रखी कि युवती को पहले अपने ॐ टैटू को हटाना होगा और धर्म परिवर्तन करना होगा। यह सुनकर युवती ने विरोध किया, जिसके बाद उसे शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ा।
कानपुर में लव जिहाद का पुराना इतिहास
कानपुर में लव जिहाद के मामले कोई नई बात नहीं हैं। दैनिक जागरण की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में ग्वालटोली इलाके में एक युवती पर अपने प्रेमी का धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा था। उस मामले में भी युवक और युवती लापता हो गए थे, और पुलिस जांच में जुटी थी। इसी तरह, 2022 में जाजमऊ में एक ट्रक ड्राइवर अजीज अहमद ने प्रयागराज की एक युवती को अजय बनकर प्रेमजाल में फंसाया और फिर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला। 2020 में दैनिक भास्कर ने खुलासा किया था कि कानपुर में एक महीने में लव जिहाद के 11 मामले सामने आए, जिनमें धर्म परिवर्तन की शिकायतें आम थीं। यह ताजा मामला भी उसी पुराने पैटर्न को दोहराता नजर आता है, जहां झूठी पहचान और प्रेम के नाम पर युवतियों को फंसाने का खेल चल रहा है।
पुलिस का रुख: जांच शुरू, लेकिन सवाल बरकरार
युवती की शिकायत पर कानपुर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की है। सरताज उर्फ सोनू के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी है, या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है? 2020 में गठित SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने कानपुर में लव जिहाद के 12 मामलों की जांच की थी, जिसमें इस्लामी संगठनों की भूमिका की भी पड़ताल की गई थी। उस समय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया था। इस बार भी हिंदूवादी संगठन सड़कों पर उतर सकते हैं, जिससे कानपुर का माहौल गर्माने की आशंका है।
समाज पर प्रभाव: क्या है लव जिहाद का असली सच?
लव जिहाद जैसे मामले न केवल व्यक्तिगत जिंदगियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी तार-तार करते हैं। अमर उजाला की एक रिपोर्ट में बताया गया कि कानपुर में इस तरह के मामले संवेदनशीलता का केंद्र बन चुके हैं। प्रेम के नाम पर छल और धर्म परिवर्तन का दबाव न केवल पीड़ितों के लिए दर्दनाक है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाता है। इस मामले में युवती का साहस सराहनीय है, जिसने अपनी आपबीती को सामने लाकर समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे मामलों में तथ्यों की गहराई से जांच जरूरी है, ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले और न ही कोई दोषी बच पाए।
कानून का डर: उत्तर प्रदेश में सख्ती का असर
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं। 2020 में लव जिहाद के एक मामले में पीड़िता ने सरकार के इस कदम की तारीफ की थी और कहा था कि इससे दूसरों को बचाया जा सकता है। कानपुर में भी पुलिस और प्रशासन इस कानून के तहत कार्रवाई करने का दावा कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या कानून का डर इस तरह के अपराधों को पूरी तरह रोक पाएगा? कई मामलों में पीड़िताएं डर या सामाजिक दबाव के कारण शिकायत करने से हिचकती हैं, जिससे दोषियों का हौसला बढ़ता है।
ॐ टैटू और निकाह की शर्त जैसी घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि प्रेम के नाम पर छल का यह खेल कब तक चलेगा? समाज को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूक रहे और युवाओं को सही-गलत की पहचान करने की शिक्षा दे। साथ ही, पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वे न केवल त्वरित कार्रवाई करें, बल्कि ऐसी घटनाओं की जड़ तक जाएं। कानपुर की इस युवती की कहानी न केवल एक चेतावनी है, बल्कि एक सबक भी है कि प्रेम की आड़ में छिपे सच को समय रहते पहचानना जरूरी है।