उत्तर प्रदेश मानसून अपडेट: मानसून की विदाई से पहले पलटवार, 30 सितंबर से झमाझम बारिश, 16 जिलों में अलर्ट जारी!

Akanksha Yadav

28/09/2025

उत्तर प्रदेश मानसून अपडेट | 28 सितंबर: यूपी में मानसून अब विदाई की ओर है, लेकिन जाने से पहले एक जोरदार पलटवार करने वाला है। पूर्वांचल के जिलों में तेज हवाओं के साथ झमाझम बारिश की चेतावनी ने किसानों से लेकर आम लोगों तक सबको सतर्क कर दिया है।

उत्तर प्रदेश मानसून अपडेट की बात करें तो मौसम विभाग ने पूर्वांचल के 16 जिलों में आज बारिश का अलर्ट जारी किया है। वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह बताते हैं कि 30 सितंबर से 2 अक्टूबर तक राज्य के ज्यादातर इलाकों में हल्की से तेज वर्षा हो सकती है। यह लौटते मानसून का असर है, जो अक्टूबर के पहले हफ्ते में पूरी तरह विदा हो जाएगा। IMD की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि इस सीजन में कुल वर्षा औसत से 5% कम रही, लेकिन कुछ जिलों में रिकॉर्ड तोड़ बरसात हुई।

जिलावार बारिश के आंकड़े: कहां सूखा, कहां बाढ़ जैसी स्थिति

1 जून से 27 सितंबर तक यूपी में कुल 700.2 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि IMD का अनुमान 739.8 मिमी था – यानी 5% की कमी। पूर्वी यूपी में देवरिया सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां अनुमानित 773 मिमी के मुकाबले सिर्फ 97 मिमी वर्षा हुई, जो 87% कम है। कुशीनगर में भी 738 मिमी के अनुमान के खिलाफ महज 261 मिमी बरसात रिकॉर्ड की गई, यानी 65% की कमी।

इसके उलट, मध्य-पश्चिमी हिस्सों में बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी ने कमाल दिखाया। एटा में अनुमानित 503.6 मिमी के बजाय 880 मिमी बारिश हुई, जो 75% ज्यादा है। संभल में भी 656 मिमी के अनुमान से 61% अधिक 1055 मिमी वर्षा दर्ज की गई। IMD की डिस्ट्रिक्ट वाइज रिपोर्ट से साफ है कि पूर्वी इलाकों में जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिख रहा है, जहां पिछले चार साल से बारिश में गिरावट जारी है।

पिछले सालों का ट्रेंड: जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

देवरिया के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मांधाता सिंह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से वर्षा पैटर्न बिगड़ रहा है। 2024 में देवरिया में 43% और 2023 में 46% कम बारिश हुई थी, जबकि 2020-22 में सामान्य से ज्यादा। बीते 5 सालों में 2022 सबसे सूखा रहा, जहां औसत से 29% कम वर्षा दर्ज हुई। 2023 में 17% की कमी आई, और 2024 में लगभग सामान्य रही। लेकिन इस साल पूर्वी यूपी में हालात चिंताजनक हैं। X पर भी लोग इन ट्रेंड्स की चर्चा कर रहे हैं, जहां मानसून की विदाई से पहले पलटवार की खबरें वायरल हैं।

हथिया नक्षत्र का महत्व: किसानों के लिए वरदान या चुनौती?

हथिया नक्षत्र 21-22 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो धान की फसल के लिए फायदेमंद माना जाता है। कृषि वैज्ञानिक प्रो. पीके सिंह बताते हैं कि इस दौरान हल्की बारिश से कीड़े-मकोड़े नष्ट होते हैं, और दलहनी-तिलहनी फसलों के लिए खेतों में नमी बनी रहती है। इससे रबी फसल की बुआई समय पर हो सकती है। लेकिन अगर बरसात तेज हुई तो धान गिर सकता है, गुणवत्ता प्रभावित होगी, और हार्वेस्टिंग में दिक्कत आएगी। हथिया नक्षत्र चंद्रमा से जुड़ा 5 तारों का समूह है, जिसकी आकृति हाथ के पंजे जैसी होती है – किसान इसी का इंतजार करते हैं।

मौसम विभाग की चेतावनी और आगे का पूर्वानुमान

मौसम विभाग के मुताबिक, 28 सितंबर को पूर्वी और पश्चिमी यूपी में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। 25 सितंबर से पूर्वी इलाकों में जोरदार बारिश का अनुमान है, जो बंगाल की खाड़ी में बन रहे नए सिस्टम से जुड़ा है। सितंबर में उत्तर भारत में रिकॉर्ड बारिश हुई, जो 14 साल पुराना रेकॉर्ड तोड़ चुकी है। लेकिन 3 अक्टूबर तक गर्मी से राहत नहीं मिलेगी, और मानसून ज्यादातर जिलों से विदा हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश मानसून अपडेट अभी गर्म टॉपिक है, क्योंकि विदाई से पहले की यह बरसात फसलों को बचा भी सकती है और नुकसान भी पहुंचा सकती है। मौसम की हर अपडेट पर नजर रखें, क्योंकि बदलाव तेजी से हो रहे हैं – आगे क्या ट्विस्ट आएगा, यह देखना बाकी है।

Leave a Comment