स्टॉक PE Ratio क्या है? सरल तरीके से समझें, निवेश में कैसे बनेगा आपका साथी!

Akanksha Yadav

27/09/2025

शेयर बाजार में निवेश करना रोमांचक है, लेकिन इसमें स्मार्ट फैसले लेने की जरूरत पड़ती है। एक ऐसा टूल जो आपको स्टॉक की वैल्यू समझने में मदद करता है, वो है PE रेश्यो।

स्टॉक PE Ratio, जिसे प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो भी कहते हैं, निवेशकों का एक पसंदीदा मीटर है। यह बताता है कि कोई स्टॉक अपनी कमाई के मुकाबले कितना महंगा या सस्ता है। सरल शब्दों में, अगर कोई कंपनी अच्छी कमाई कर रही है, लेकिन उसका स्टॉक प्राइस ज्यादा नहीं बढ़ा, तो वह निवेश के लिए अच्छा मौका हो सकता है।

स्टॉक PE Ratio क्या है?

स्टॉक PE Ratio की गणना बहुत आसान है। यह स्टॉक के मौजूदा बाजार मूल्य को कंपनी की प्रति शेयर कमाई से भाग देकर निकाला जाता है। मतलब, PE = स्टॉक प्राइस / EPS (अर्निंग्स पर शेयर)। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी का स्टॉक 100 रुपये का है और उसकी EPS 10 रुपये है, तो PE रेश्यो 10 होगा। यह रेश्यो जितना कम हो, उतना स्टॉक सस्ता माना जाता है, लेकिन हर सेक्टर में यह अलग-अलग होता है।

PE Ratio का महत्व: निवेश में क्यों जरूरी?

स्टॉक PE Ratio से आप कंपनी की ग्रोथ और वैल्यू समझ सकते हैं। अगर PE ज्यादा है, तो मतलब बाजार को कंपनी से भविष्य में अच्छी कमाई की उम्मीद है, जैसे टेक कंपनियां जहां PE 20-30 तक जाता है। वहीं, कम PE वाली कंपनियां स्थिर होती हैं, जैसे बैंक या FMCG सेक्टर जहां PE 10-15 रहता है। लेकिन याद रखें, सिर्फ PE पर निर्भर न रहें, क्योंकि महंगाई या बाजार की स्थिति भी असर डालती है।

PE Ratio के प्रकार: ट्रेलिंग और फॉरवर्ड

स्टॉक PE Ratio दो तरह का होता है। ट्रेलिंग PE पिछले 12 महीनों की कमाई पर आधारित होता है, जो रियल डेटा देता है। फॉरवर्ड PE भविष्य की अनुमानित कमाई पर बनता है, जो निवेशकों को आगे की ग्रोथ का आईडिया देता है। दोनों को देखकर ही फैसला लें, क्योंकि फॉरवर्ड PE में अनुमान गलत हो सकता है।

स्टॉक चुनते समय PE Ratio का इस्तेमाल कैसे करें?

स्टॉक PE Ratio को इंडस्ट्री एवरेज से कंपेयर करें। अगर कोई स्टॉक का PE उसके सेक्टर से कम है, तो वह अंडरवैल्यूड हो सकता है और अच्छा रिटर्न दे सकता है। लेकिन ज्यादा PE वाला स्टॉक ओवरवैल्यूड हो सकता है, जो गिरावट का खतरा लाता है। उदाहरण से समझें: रिलायंस का PE अगर 25 है और तेल सेक्टर का एवरेज 20, तो यह थोड़ा महंगा लग सकता है। हमेशा कंपनी की बैलेंस शीट, प्रॉफिट और मार्केट ट्रेंड भी चेक करें।

PE Ratio की कमियां: हर बार सही नहीं होता

स्टॉक PE Ratio हमेशा परफेक्ट नहीं होता। अगर कंपनी घाटे में है, तो PE नेगेटिव आता है, जो भ्रामक हो सकता है। नई कंपनियां जहां ग्रोथ तेज है, वहां PE ज्यादा रहता है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा। इसलिए, P/B रेश्यो या EV/EBITDA जैसे दूसरे मीटर के साथ मिलाकर देखें।

शेयर बाजार की दुनिया में स्टॉक PE Ratio जैसे टूल्स से निवेश आसान हो जाता है। अगर आप नए हैं, तो छोटे से शुरू करें और एक्सपर्ट की सलाह लें। बाजार की हर हलचल पर नजर रखें और स्मार्ट निवेश करें।

डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है निवेश के पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय अवश्य ले। उपरोक्त आर्टीकल केवल इन्फॉर्मेशन और एजुकेशनल उद्देश्य हेतु है।

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