14 फरवरी तक फाइनल वोटर लिस्ट, इसके बाद शुरू होगी यूपी पंचायत चुनाव 2026 की रेस

यूपी पंचायत चुनाव 2026: उत्तर प्रदेश की ग्रामीण राजनीति के लिए बड़ा मोड़ आ रहा है। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां अब पूरे शबाब पर हैं और चुनावी रणनीति पर काम शुरू हो गया है। सबकी निगाहें अब 14 फरवरी, 2026 पर टिकी हैं, जिस दिन राज्य निर्वाचन आयोग अंतिम मतदाता सूची जारी करेगा – यही वह आधार होगी, जिस पर देश के सबसे बड़े राज्य का अगला स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा जाएगा।

तैयारियों का समय सीमा: 25 मई से पहले पूरा होगा प्रक्रिया

राज्य निर्वाचन आयोग की मुहर लगी समयसीमा स्पष्ट है। पूरी चुनाव प्रक्रिया, मतदान से लेकर परिणाम तक, 25 मई 2026 से पहले पूरी कर ली जानी है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अप्रैल से जुलाई के बीच मतदान कराए जाने की संभावना है। चुनाव आचार संहिता फरवरी या मार्च के अंत में लागू हो सकती है, जो राज्य में राजनीतिक गतिविधियों के लिए नए नियमों की शुरुआत करेगी। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले, यह पंचायत चुनाव सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ी जनादेश की परीक्षा माना जा रहा है।

वोटर लिस्ट रिवीजन का टाइमटेबल: ड्राफ्ट 16 दिसंबर को, फाइनल लिस्ट 14 फरवरी को

एक सटीक और दोहराव रहित मतदाता सूची चुनाव की नींव है। इसके लिए विस्तृत कार्यक्रम तय किया गया है।

  • 11 दिसंबर तक: सभी बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) गणना फॉर्म जमा करेंगे।
  • 12 से 15 दिसंबर: कंट्रोल टेबल और प्रारंभिक सूचियां तैयार की जाएंगी।
  • 16 दिसंबर: ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी, जिसके बाद दावे-आपत्ति दर्ज कराने का चरण शुरू होगा।
  • 7 फरवरी तक: सभी दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा।
  • 14 फरवरी: यह वह महत्वपूर्ण तारीख है जब यूपी की अंतिम और बाध्यकारी मतदाता सूची प्रकाशित होगी।

इस प्रक्रिया को पुख्ता बनाने के लिए, मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने एसआईआर (विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण) की अवधि एक सप्ताह बढ़ा दी है, ताकि बीएलओ घर-घर जाकर सत्यापन ठीक से कर सकें। प्रदेश के 15.44 करोड़ मतदाताओं में से अब तक लगभग 10.75 करोड़ (करीब 70%) के फॉर्म जमा हो चुके हैं।

चुनाव संरचना और खर्च सीमा: तीन स्तर, अलग-अलग बजट

यूपी पंचायत चुनाव तीन स्तरों पर होंगे: ग्राम पंचायत (प्रधान और सदस्य), क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक प्रमुख) और जिला पंचायत। हर स्तर के लिए चुनाव खर्च की एक सीमा तय है, जिसका पालन सभी उम्मीदवारों को करना होगा।

  • ग्राम प्रधान: अधिकतम खर्च सीमा 1.25 लाख रुपये।
  • जिला पंचायत सदस्य: अधिकतम खर्च सीमा 2.5 लाख रुपये।
  • जिला पंचायत अध्यक्ष: अधिकतम खर्च सीमा 7 लाख रुपये।

चुनाव से पहले, अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जाएगा। नामांकन शुल्क और जमानत राशि भी बढ़ा दी गई है। साथ ही, हर पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 कर दी गई है ताकि मतदान प्रक्रिया अधिक सुगम हो सके।

2021 के चुनाव का स्मरण: क्या कहते हैं पुराने आंकड़े

वर्तमान तैयारियों के संदर्भ में 2021 के पंचायत चुनाव के नतीजे देखना प्रासंगिक होगा। उस चुनाव में 13 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था। जिला पंचायत सदस्य की 3050 सीटों पर हुए मुकाबले में निर्दलीय प्रत्याशी सबसे आगे रहे थे।

मुख्य राजनीतिक दलों के हिस्से में आई सीटों का विवरण इस प्रकार था:

  • सपा-आरएलडी गठबंधन: 828 सीटें (सपा अकेले 760)
  • भाजपा: 750 सीटें
  • बसपा: 381 सीटें
  • कांग्रेस: 76 सीटें
  • आप: 64 सीटें

अब क्या होगा आगे?

सभी राजनीतिक दल अब 14 फरवरी को आने वाली अंतिम मतदाता सूची का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का औपचारिक ऐलान करेगा। मतदाता सूची में किसी भी तरह की विसंगति से बचने के लिए की जा रही यह विस्तृत तैयारी, आने वाले महीनों में राज्य की ग्रामीण सत्ता की दिशा तय करने वाले इस विशाल चुनावी अभ्यास की गंभीरता को दर्शाती है।

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