NSE IPO का रास्ता साफ: SEBI सेटलमेंट से खुलेगा बाजार का ये दिग्गज, लेकिन Q2 में मुनाफा क्यों गिरा?

देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के IPO का इंतजार अब खत्म होने की कगार पर है। SEBI के साथ सेटलमेंट के ऐलान से निवेशकों की नजरें अब इस दिग्गज पर टिक गई हैं।

NSE IPO के तहत, एक्सचेंज ने लंबे समय से चले आ रहे विवादों को सुलझाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। बाजार नियामक सेबी के साथ पेंडिंग मामलों के निपटारे के लिए 1300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह राशि मुख्य रूप से कोलोकेशन और डार्क फाइबर से जुड़े पुराने आरोपों से संबंधित है। 2019 में सेबी ने NSE पर ट्रेडिंग मेंबर्स को समान अवसर न देने का आरोप लगाते हुए 1100 करोड़ का जुर्माना ठोका था। अब इस सेटलमेंट से वो मामला बंद होने की दिशा में बढ़ रहा है, जिससे IPO प्रक्रिया तेजी से आगे सरक सकती है।

SEBI-NSE विवाद की पूरी कहानी: कोलोकेशन से डार्क फाइबर तक

सेबी का आरोप था कि NSE ने कुछ ट्रेडिंग मेंबर्स को अनुचित लाभ पहुंचाया था, खासकर कोलोकेशन सुविधा के जरिए। कोलोकेशन का मतलब है सर्वर को एक्सचेंज के करीब रखना, जिससे ट्रेडिंग स्पीड बढ़ जाती है। इसके अलावा डार्क फाइबर के जरिए भी असमानता का मुद्दा उठा था। इन विवादों ने NSE के IPO को सालों से लटका रखा था। सेटलमेंट के बाद, एक्सचेंज को सेबी से क्लीन चिट मिलने की उम्मीद है, जो IPO के लिए आखिरी मंजूरी का रास्ता खोलेगा। बाजार के जानकारों का कहना है कि यह कदम NSE को वैल्यूएशन के मामले में मजबूत बनाएगा।

NSE Q2 रिजल्ट्स 2025: मुनाफे में गिरावट, लेकिन असल तस्वीर अलग

मंगलवार को जारी तिमाही नतीजों ने NSE के प्रदर्शन पर रोशनी डाली। रिपोर्टेड शुद्ध मुनाफा 33 फीसदी घटकर 2098 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 3137 करोड़ था। इस गिरावट का मुख्य कारण 1300 करोड़ का सेटलमेंट प्रावधान ही है। लेकिन अगर इस प्रावधान को हटाकर देखें, तो एडजस्टेड प्रॉफिट 3396 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल से 16 फीसदी ज्यादा है। यह आंकड़ा NSE की कोर बिजनेस की मजबूती को दर्शाता है।

रेवेन्यू की बात करें तो इसमें 17 फीसदी की कमी आई। यह 4160 करोड़ रुपये रहा, जबकि बीते साल 5023 करोड़ था। ट्रांजेक्शन चार्जेस, जो NSE की कमाई का बड़ा स्रोत हैं, दूसरे तिमाही में 12 फीसदी गिरे। इसका असर डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर सबसे ज्यादा पड़ा। इक्विटी ऑप्शंस का औसत दैनिक प्रीमियम वॉल्यूम 16 फीसदी घटकर 464.42 अरब रुपये रह गया। सेबी के हालिया कदमों, जैसे डेरिवेटिव स्पेकुलेशन पर लगाम, ने इस सुस्ती को बढ़ावा दिया है। NSE के अधिकारियों ने इसे अस्थायी बताया है, लेकिन बाजार पर इसका असर साफ दिख रहा है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम पर SEBI नियमों का साया: क्या है असर?

डेरिवेटिव्स सेगमेंट में सुस्ती NSE के लिए चुनौती बन रही है। सेबी ने सट्टेबाजी रोकने के लिए सर्किट ब्रेकर, लॉट साइज बढ़ाने जैसे उपाय किए हैं, जिससे ट्रेडिंग एक्टिविटी कम हुई। इक्विटी कैश मार्केट में भी वॉल्यूम स्थिर रहा, लेकिन ऑप्शंस और फ्यूचर्स में कमी ने रेवेन्यू को चोट पहुंचाई। फिर भी, NSE का कुल मार्केट शेयर मजबूत बना हुआ है, जो लंबे समय में निवेशकों का भरोसा बनाए रखेगा।

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NSE IPO के इस ताजा अपडेट के बाद, स्टॉक मार्केट की दुनिया में हलचल तेज हो गई है। निवेशक अब IPO टाइमलाइन और वैल्यूएशन पर नजर रखे हुए हैं। क्या यह सेटलमेंट बाजार के इस दिग्गज को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा? आने वाले दिनों की अपडेट्स पर सबकी नजर टिकी है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सूचना के उद्देश्य से है और निवेश सलाह नहीं है। बाजार जोखिम भरा होता है, निवेश से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

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