जैसलमेर। राजस्थान के जैसलेमर में मंगलवार दोपहर एक भीषण सड़क हादसा हुआ। जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास चलती एक एसी स्लीपर बस अचानक आग की चपेट में आ गई। देखते ही देखते बस आग के गोले में तब्दील हो गई और 20 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। 15 से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। मृतकों में एक पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान भी शामिल हैं।
कैसे हुई थी यह भीषण दुर्घटना?
बस रोजाना की तरह दोपहर करीब 3 बजे जैसलमेर से जोधपुर के लिए रवाना हुई थी। करीब साढ़े तीन बजे तक, महज 20 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद, थईयात गांव के पास बस के पिछले हिस्से से अचानक धुआं उठने लगा। कुछ ही पलों में आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। यात्रियों ने बताया कि पीछे से धमाके जैसी आवाज आई, जिसके बाद एसी की गैस और डीजल के साथ मिलकर आग और भयंकर हो गई।
आग इतनी तेज थी कि बस महज 5 से 7 मिनट में पूरी तरह जलकर खाक हो गई। बचने के लिए यात्रियों को चलती बस से कूदना पड़ा। हालांकि, कई यात्री बस में ही फंसे रह गए और बाहर निकलने का मौका नहीं मिल सका।
हादसे में हुई जानमाल की क्षति
इस भीषण जैसलमेर बस अग्निकांड में कुल 57 यात्री सवार थे। पोकरण विधायक प्रतापपुरी ने 20 लोगों की मौत की पुष्टि की है। उनके मुताबिक, 19 यात्रियों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई, जबकि एक घायल को जोधपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। मृतकों में 79 साल के हुसैन खां और एक स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान शामिल हैं।
हादसे में 2 बच्चों और 4 महिलाओं समेत 15 लोग गंभीर रूप से झुलस गए। अधिकांश घायल 70 प्रतिशत तक झुलसे हुए हैं। घटना के बाद झुलसे हुए सभी यात्रियों को पहले जैसलमेर के जवाहिर अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए जोधपुर रेफर कर दिया गया।
क्या थे बस में आग लगने के कारण?
आग लगने के सटीक कारणों की जांच अभी जारी है, लेकिन शुरुआती जानकारी में शॉर्ट सर्किट को प्रमुख वजह बताया जा रहा है। पोकरण विधायक प्रतापपुरी ने बताया कि बस की बैटरी में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे एसी की गैस पूरे केबिन में फैल गई और देखते ही देखते आग भड़क उठी।
वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का आरोप है कि बस की डिग्गी में पटाखे भरे हुए थे, जिसके कारण इतनी भीषण आग लगी। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
इस हादसे में बस की डिजाइन भी एक बड़ा कारण नजर आ रही है। विधायक प्रतापपुरी ने खुद कहा कि बस की डिजाइन बहुत संकरी थी और इमरजेंसी गेट केवल पीछे था। उन्होंने कहा, “दोनों तरफ इमरजेंसी गेट होने चाहिए थे। तीन दरवाजे होने चाहिए, ताकि यात्री बचकर निकल सकें, लेकिन यह सुविधा नहीं थी।”
डीएनए टेस्ट से होगी मृतकों की पहचान
आग इतनी भीषण थी कि कई शव पूरी तरह जल गए और उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि मृतकों की पहचान डीएनए टेस्ट के जरिए की जाएगी। बुधवार सुबह से डीएनए सैंपल लिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसके बाद शव परिजनों को सौंपे जाएंगे। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों से संपर्क करने की अपील की है।
त्वरित राहत और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही मौके पर स्थानीय लोग, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें पहुंच गईं। नगर परिषद के असिस्टेंट फायर ऑफिसर ने बताया कि फायर ब्रिगेड की टीम करीब 10 मिनट में मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन तब तक बस पूरी तरह जल चुकी थी।
गंभीर रूप से झुलसे 16 यात्रियों को जैसलमेर से जोधपुर तक करीब 275 किलोमीटर का सफर तय करवाने के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाया गया। इसके जरिए घायलों को तेज रफ्तार से जोधपुर के अस्पतालों में पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
राजनीतिक नेताओं ने जताया दुख
इस हृदयविदारक दुर्घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत कई नेताओं ने दुख जताया है।
पीएम मोदी ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हादसे की सूचना पर मंगलवार देर रात विशेष विमान से जैसलमेर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना।
यह भीषण हादसा पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान में हुई सबसे बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में से एक है। राज्य सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गंभीरता से कदम उठाने का आश्वासन दिया है। बस को जब्त कर लिया गया है और एफएसएल टीम तकनीकी जांच में जुटी है कि आखिरकार किस वजह से यह भीषण अग्निकांड हुआ।