देवरिया में मिट्टी की दीवार गिरने से किशोरी की दर्दनाक मौत, बहन गंभीर रूप से घायल

दीवार गिरने से मौत: गरीबी और असुरक्षित आवास की कहानी ने ली एक और जान।

देवरिया (उत्तर प्रदेश), 16 अक्टूबर: बुधवार शाम देवरिया के एक गांव में एक कच्ची दीवार ने एक परिवार का सहारा तोड़ दिया। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में बदहाल आवासीय स्थितियों की दस्तक है, जिसकी भेंट चढ़ गई 16 साल की एक मासूम जिंदगी।

कच्ची दीवार बनी मौत का कारण, दो बहनें मलबे में दबीं

देवरिया जिले के भाटपाररानी थाना क्षेत्र के सुकवा गांव में बुधवार शाम का नजारा अचानक एक दहल देने वाली त्रासदी में बदल गया। 16 साल की सोनी और उसकी 18 साल की बहन मौनी अपने ही मिट्टी के बने घर में बैठी हुई थीं। तभी अचानक कमजोर और कच्ची दीवार का एक हिस्सा भरभराकर उनके ऊपर गिर पड़ा। दोनों बहनें तुरंत मलबे के नीचे दब गईं।

परिजनों और पड़ोसियों ने निकाला मलबे से, मगर…

घटना के बाद मची हड़कंप और शोर सुनकर परिवार के सदस्य और आस-पड़ोस के लोग मौके पर पहुंचे। सभी ने मिलकर मलबे को हटाने का काम शुरू किया और दोनों बहनों को बाहर निकाला। हालांकि, बाहर निकलने के बाद का नजारा डरावना था। दोनों ही गंभीर रूप से जख्मी थीं।

स्वास्थ्य केंद्र से देवरिया रेफर, लेकिन मौत ने किया वापस

घायल बहनों को तुरंत भाटपाररानी के स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज, देवरिया रेफर कर दिया। दुर्भाग्य से, देवरिया पहुंचने पर डॉक्टरों ने सोनी को मृत घोषित कर दिया। उसकी बड़ी बहन मौनी अभी भी इलाज के दौर से गुजर रही हैं।

मजदूर पिता की तीसरी संतान थी सोनी, गांव में छाया शोक

मृतका सोनी अपने माता-पिता, त्रिभुवन प्रसाद की तीसरी संतान थी। त्रिभुवन प्रसाद मजदूरी का काम करते हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है। सोनी की अकाल मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। परिजन रो-रोकर अपनी बिटिया को खोने का दर्द बयां कर रहे हैं। इस दुखद घटना ने पूरे सुकवा गांव में शोक की लहर दौड़ा दी है।

ग्रामीणों ने उठाई मुआवजे की मांग, प्रशासन से की गुहार

इस हादसे ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों की आवासीय समस्या को केंद्र में ला दिया है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और पीड़ित परिवार को तुरंत आर्थिक सहायता एवं मुआवजा जारी करने की मांग की है। अब सवाल यह है कि क्या इस तरह की दुर्घटनाएं सिर्फ शोक संदेश और मुआवजे तक सीमित रहेंगी, या फिर ग्रामीण आवास सुरक्षा पर कोई ठोस कार्ययोजना सामने आएगी?

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