देवरिया मेडिकल कॉलेज की पानी की टंकी से मिला एक शव। एक व्यक्ति जो महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर यहां आया था इलाज कराने। एक ऐसी मौत जिसमें हत्या के स्पष्ट संकेत। और एक जांच जो अस्पताल के भीतर के लोगों पर टिकी हुई है। यह कहानी है अशोक गावंडे की रहस्यमयी मौत की, जिसका जवाब ढूंढ रही है देवरिया पुलिस।
पिछले कुछ दिनों से देवरिया मेडिकल कॉलेज की पानी की टंकी में शव मामले में नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। पुलिस की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। महाराष्ट्र के ठाणे के रहने वाले 61 वर्षीय अशोक गावंडे की मौत अब सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या का मामला नजर आ रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस शक को पुख्ता कर दिया है कि उनकी मौत पानी की टंकी में डाले जाने से पहले ही हो चुकी थी।
कैसे मिला था शव? पानी से दुर्गंध ने खोला राज
छह अक्टूबर की सुबह महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज में मरीजों के तीमारदारों ने पानी से आ रही दुर्गंध की शिकायत की थी । जब कॉलेज प्रशासन ने पांचवीं मंजिल पर स्थित पानी की टंकी का मुंह खोला, तो वहां का नजारा देखकर हर कोई सन्न रह गया। टंकी के अंदर एक नग्न युवक का शव तैर रहा था ।
इस घटना ने पूरे मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मचा दिया। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे । सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर लापरवाही पाए जाने पर शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए प्रधानाचार्य डॉ. राजेश बरनवाल को पद से हटा दिया।
कौन था अशोक गावंडे? महाराष्ट्र का केमिकल फैक्ट्री मालाक
शव की पहचान में कई दिन लग गए। पुलिस की टीम ने मुंबई तक जाकर पूछताछ की, आखिरकार शव की शिनाख्त अशोक गावंडे के रूप में हुई । वह महाराष्ट्र के ठाणे जिले के रहने वाले थे और एक केमिकल फैक्ट्री के मालिक थे ।
पुलिस जांच में पता चला कि अशोक पिछले चार साल से अपनी पत्नी से अलग रह रहे थे और मानसिक रूप से विक्षिप्त थे । 27 सितंबर को एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें घायल अवस्था में मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया था । छह अक्टूबर को उनका शव पानी की टंकी में मिला।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बताया: हत्या के साफ सबूत
देवरिया मेडिकल कॉलेज पानी की टंकी शव मामले की दिशा ही बदल दी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने। रिपोर्ट में सामने आया कि अशोक के फेफड़ों में पानी नहीं था, जिससे पुष्टि होती है कि टंकी में डालने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी ।
शव पर नौ जगहों पर चोट के निशान मिले, जो हत्या की ओर इशारा करते हैं । दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन यह दम घुटना कैसे हुआ, यही जांच का मुख्य बिंदु बन गया है।
अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही: दो बार गायब हुए मरीज
जांच में खुलासा हुआ कि अशोक सर्जिकल वार्ड में भर्ती थे, जहां उनके पैर के घाव का इलाज चल रहा था। हैरानी की बात यह है कि वह वार्ड से दो बार 24 घंटे के अंदर गायब हुए, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस तक नहीं पहुंचाई ।
यह लापरवाही अब जांच के घेरे में है। बीएचटी (बेड हेड टिकट) रिकॉर्ड से पता चला कि अशोक को मानसिक रोग की कोई दवा नहीं दी जा रही थी, जबकि उनके परिजन उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त बता रहे थे।
पुलिस की जांच: 98 लोगों के मोबाइल नंबर पर नजर
इस रहस्यमयी मौत का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस ने व्यापक जांच शुरू की है। देवरिया मेडिकल कॉलेज के गार्ड समेत 98 लोगों के मोबाइल नंबर को पुलिस ने अपने रडार पर ले लिया है । कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का विश्लेषण किया जा रहा है।
- तीन टीमें लगाई गई: एसओजी, सर्विलांस और स्थानीय पुलिस की अलग-अलग टीमें इस मामले की जांच कर रही हैं ।
- महाराष्ट्र और गोरखपुर में जांच: एक टीम मुंबई में अशोक के व्यवसायिक और व्यक्तिगत संबंधों की जांच कर रही है, जबकि दूसरी टीम गोरखपुर में उनके ससुराल पक्ष से पूछताछ कर रही है ।
- सीसीटीवी फुटेज का सहारा: पुलिस गोरखपुर और देवरिया में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का विश्लेषण कर रही है, ताकि पता चल सके कि अशोक आखिरी बार किन लोगों के संपर्क में थे ।
संदिग्ध स्वास्थ्यकर्मी और अंदरूनी साजिश का शक
जांच में सामने आया है कि मेडिकल कॉलेज के तीन स्वास्थ्यकर्मी प्रारंभिक पूछताछ में संदिग्ध पाए गए हैं। पुलिस उन पर कड़ी नजर रखे हुए है। एक गार्ड तो घटना के बाद से ही छुट्टी पर चला गया था, जिस पर पुलिस को ज्यादा संदेह है ।
पुलिस का मानना है कि हत्या में किसी अंदरूनी व्यक्ति की भूमिका हो सकती है, जिसे अस्पताल के कामकाज और निगरानी व्यवस्था की पूरी जानकारी थी। मेडिकल कॉलेज के वार्ड में सीसीटीवी कैमरे न होना भी जांच में एक बड़ी बाधा बना हुआ है ।
क्या कहते हैं परिजन? शांतिपाठ के बाद दर्ज कराएंगे बयान
अशोक गावंडे की मौत की पुष्टि के बाद उनकी पत्नी और साले प्रफुल्ल नागरकर ने गोरखपुर स्थित अपने आवास पर रविवार को शांतिपाठ और पूजन कराया । परिवार की ओर से बताया गया कि सोमवार को दोनों देवरिया कोतवाली पहुंचकर अपने बयान दर्ज कराएंगे।
प्रफुल्ल ने पहले पुलिस को बताया था कि अशोक उनके घर आए थे और कुछ देर रुकने के बाद जाने की जिद करने लगे। उन्होंने उन्हें ऑटो से रेलवे स्टेशन छोड़ने की बात कही थी । सवाल यह उठता है कि अगर अशोक रेलवे स्टेशन के लिए निकले थे, तो वह देवरिया तक कैसे पहुंचे?
ऑटो चालक की तलाश में जुटी पुलिस
इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए पुलिस अब उस ऑटो चालक की तलाश कर रही है जिसने अशोक को गोरखपुर से रेलवे स्टेशन छोड़ा था । पुलिस का मानना है कि इस चालक से पूछताछ के बाद देवरिया आने की पूरी कहानी स्पष्ट हो सकेगी।
जांच के नए सुराग और आगे की राह
देवरिया पुलिस ने अब तक इस मामले में 28 लोगों से पूछताछ की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है । हालांकि, पुलिस को उम्मीद है कि कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिनके आधार पर जल्द ही इस सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश हो जाएगा।
पुलिस का संदेह है कि हत्या का ब्लूप्रिंट मेडिकल कॉलेज की ओपीडी बिल्डिंग में ही तैयार हुआ था। अशोक की हत्या कहीं और की गई और बाद में शव को पानी की टंकी में डालकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई।
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देवरिया का यह सनसनीखेज मामला न सिर्फ एक जान की हत्या का है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था में आई चौंकाने वाली खामियों का भी है। एक मरीज जिसे सुरक्षा और इलाज की सबसे ज्यादा जरूरत थी, वह अस्पताल में ही किसी नृशंस साजिश का शिकार हो गया। पुलिस की जांच अब उसी सच को उजागर करने की कगार पर है, जिसके बारे में सुनकर हर कोई दंग रह जाएगा।