देवरिया के साहसी सांप पकड़ने वाले प्रेमचंद्र प्रसाद को 40वीं बार कोबरा ने काटा, फिर भी खतरे को टाला

देवरिया (उत्तर प्रदेश), 19 अक्टूबर: यूपी के देवरिया जिले के एक शख्स ने फिर साबित कर दिया कि हिम्मत का कोई दूसरा नाम नहीं। 52 साल के प्रेमचंद्र प्रसाद को रविवार सुबह कोबरा ने काट लिया, लेकिन उन्होंने न सिर्फ जान बचाई, बल्कि सांप को भी नुकसान से दूर रखा। यह उनकी जिंदगी का 40वां ऐसा किस्सा है, जो ग्रामीण इलाकों में चर्चा का विषय बन गया है।

देवरिया के सांप पकड़ने वाले प्रेमचंद्र प्रसाद पिछले 20 सालों से लोगों की जान जोखिम में डालकर सांपों को पकड़ते आ रहे हैं। रविवार को गौरी बाजार थाना क्षेत्र के भगुआ पासवान टोला में रामभजन पासवान के घर पर कोबरा सांप दिखा। ग्रामीणों ने तुरंत प्रेमचंद्र प्रसाद को बुलाया। वह मौके पर पहुंचे और बांस की सीढ़ी से छत की ओर बढ़े। तभी नीचे उतरते वक्त कोबरा ने पलटकर उनके हाथ की उंगली पर डस लिया। दर्द के बावजूद प्रेमचंद्र प्रसाद ने सावधानी बरती और सांप को प्लास्टिक के डिब्बे में बंद कर दिया। ग्रामीणों ने उन्हें फौरन देवरिया मेडिकल कॉलेज ले जाकर भर्ती कराया, जहां उनकी हालत अब स्थिर है।

देवरिया के सांप पकड़ने वाले प्रेमचंद्र प्रसाद का सफर: 500 से ज्यादा जहरीले मेहमान पकड़े

सीरजम गांव के रहने वाले प्रेमचंद्र प्रसाद ने बचपन से ही सांपों के बारे में गहरी रुचि रखी। उन्होंने खुद अभ्यास करके यह कला सीखी, बिना किसी औपचारिक ट्रेनिंग के। पिछले दो दशकों में उन्होंने देवरिया, गोरखपुर और कुशीनगर के ग्रामीण इलाकों में 500 से अधिक सांप पकड़े हैं। जब भी किसी घर या खेत में सांप नजर आता है, लोग सबसे पहले प्रेमचंद्र का नाम लेते हैं। वे सांपों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उन्हें सुरक्षित तरीके से पकड़कर जंगलों में छोड़ देते हैं।

ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश की घटनाएं आम हैं, लेकिन प्रेमचंद्र जैसे लोग ही ऐसी आपदाओं को टालते हैं। उनके मुताबिक, यह काम जोखिम भरा जरूर है, लेकिन जरूरी भी। “बचपन से सांपों को देखकर उत्सुकता होती थी। मैंने धीरे-धीरे तरीके सीखे, ताकि न सांप को चोट लगे और न इंसान को,” उन्होंने बताया। रात के अंधेरे में भी दूर के गांवों से कॉल आती है, और वे निस्वार्थ भाव से पहुंच जाते हैं।

एक बार मौत के मुंह से लौटे: गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का चमत्कारिक किस्सा

प्रेमचंद्र की जिंदगी में सबसे डरावना पल साल 2024 में आया, जब एक बेहद विषैले सांप ने उन्हें काट लिया। हालत इतनी बिगड़ गई कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार वाले शव वाहन की तैयारी कर ही रहे थे कि एक साथी ने उनका हाथ हिलते देखा। डॉक्टरों ने तुरंत सीपीआर और अन्य उपचार शुरू किए। कुछ घंटों बाद प्रेमचंद्र ने फिर सांस लेना शुरू कर दिया।

उन्होंने उस वक्त की याद ताजा करते हुए कहा, “मैं सब सुन रहा था, लेकिन बोल नहीं पा रहा था। बेहोशी में था, पर डॉक्टर की बातें कानों में गूंज रही थीं। हाथ हिलाकर मैंने संकेत दिया।” इस घटना के बाद इलाके में वे ‘मरकर लौटे सांप पकड़ने वाले’ के नाम से मशहूर हो गए। उनके साथी बताते हैं कि प्रेमचंद्र कभी पीछे नहीं हटते। “गांव में सांप दिखा तो सब घबरा जाते हैं, लेकिन वे निडर होकर सीधे हाथ बढ़ा देते हैं। उनका मानना है कि अगर वे न गए तो किसी की जान पर बन सकती है।”

परिवार की चिंता और डॉक्टरों की सलाह: बार-बार सर्पदंश का खतरा

प्रेमचंद्र के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं, जो हर कॉल पर बेचैन हो जाते हैं। हर बार सांप पकड़ने जाते वक्त घर में खामोशी छा जाती है। फिर भी, प्रेमचंद्र कहते हैं, “यह मेरा फर्ज है। किसी की जान बचाना तो बनता है।” देवरिया मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इतनी बार सर्पदंश होने से शरीर पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है। उन्होंने आराम की सलाह दी और इस जोखिम भरे काम को छोड़ने का परामर्श दिया।

फिलहाल, प्रेमचंद्र की सेहत पर नजर रखी जा रही है। इलाके के लोग उनकी बहादुरी की दास्तानें सुनाते रहेंगे, और शायद यही उनकी असली विरासत बनेगी। अगर आप भी ऐसी कोई घटना सुनें, तो स्थानीय न्यूज अपडेट्स चेक करते रहें – देवरिया जैसे जिलों से रोज नई कहानियां उभरती रहती हैं।

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