शहर की भागदौड़ और तनावभरी जिंदगी में कहीं आप भी तो नहीं हो रहे मानसिक रोगों के शिकार?
हाल के वर्षों में डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले तेजी से बढ़े हैं, लेकिन अब भी समाज में इन्हें लेकर जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अक्सर लोग इनके शुरुआती लक्षणों को सामान्य तनाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले लेता है।
डिप्रेशन और एंजाइटी क्या हैं? समझिए इसके बुनियादी फर्क को
मनोचिकित्सक डॉ. राजीव शर्मा के मुताबिक, “डिप्रेशन (अवसाद) और एंजाइटी (चिंता) दो अलग-अलग स्थितियां हैं, हालांकि कई बार इनके लक्षण ओवरलैप भी हो सकते हैं। डिप्रेशन में व्यक्ति को लगातार उदासी, निराशा और उन चीजों में दिलचस्पी खत्म हो जाती है, जिन्हें करने में वह पहले खुश रहता था। वहीं, एंजाइटी में बेवजह की घबराहट, बेचैनी और भविष्य को लेकर डर की भावना प्रमुख होती है।”
इन लक्षणों को भूलकर भी न करें नजरअंदाज
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य के मामले में लक्षणों की सही और समय पर पहचान ही सबसे बड़ा इलाज है। ये हैं कुछ प्रमुख संकेत जिन पर हर किसी को गौर करना चाहिए:
डिप्रेशन के प्रमुख संकेत:
- लगातार दो हफ्तों तक उदासी या खालीपन महसूस होना।
- किसी भी काम में मन न लगना या पसंदीदा शौक से भी मोह भंग हो जाना।
- भूख में अचानक बदलाव (बहुत ज्यादा या बहुत कम खाना)।
- नींद का पैटर्न बिगड़ना (बहुत ज्यादा नींद आना या बिल्कुल न आना)।
- थकान और एनर्जी की कमी महसूस होना।
- खुद को कोसना, अपराधबोध महसूस होना या आत्महत्या के विचार आना।
एंजाइटी के प्रमुख संकेत:
- बिना किसी स्पष्ट वजह के घबराहट और बेचैनी होना।
- दिल की धड़कन तेज होना या सीने में जकड़न महसूस होना।
- लगातार चिंता में डूबे रहना और इस पर कंट्रोल न होना।
- ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना।
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा जल्दी आना।
- पैनिक अटैक आना।
क्यों बढ़ रहा है डिप्रेशन और एंजाइटी का ग्राफ? एक्सपर्ट्स ने बताई ये वजहें
मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रीति सिंह कहती हैं, “आज की तेज रफ्तार और प्रतिस्पर्धा भरी जिंदगी में लोगों पर काम का दबाव, आर्थिक तंगी, रिश्तों में खटास और सोशल मीडिया का प्रेशर लगातार बढ़ रहा है। इन सभी कारणों का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद तो यह समस्या और भी गहराई है।”
मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना है जरूरी
देश के प्रमुख अस्पतालों के मनोरोग विभागों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच सालों में डिप्रेशन और एंजाइटी के मामलों में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मामले युवाओं और कामकाजी पेशेवरों के हैं। अब समय आ गया है कि शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक बीमारियों को भी गंभीरता से लिया जाए और समय रहते इसका उचित इलाज कराया जाए। याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ही इसका पहला और सबसे बड़ा कदम है।
