मुंबई, 25 सितंबर: केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 97 तेजस मार्क-1A लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। यह 62,370 करोड़ रुपये की डील है।
तेजस के बाद मिला दूसरा बड़ा आर्डर
यह HAL को तेजस फाइटर जेट के लिए मिला दूसरा ऑर्डर है। पहला ऑर्डर फरवरी 2021 में 46,898 करोड़ रुपये का मिला था। इसमें 83 मार्क-1A विमान शामिल थे। कंपनी को 2028 तक इनकी डिलीवरी करनी है।
नए तेजस विमान वायुसेना के मिग-21 बेड़े की जगह लेंगे। इन्हें राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। मिग-21 26 सितंबर को 62 साल की सेवा के बाद रिटायर हो रहा है।
तेजस मार्क-1A चौथी पीढ़ी का हल्का लड़ाकू विमान है। इसमें स्वयं रक्षा कवच और कंट्रोल एक्चुएटर लगे हैं। विमान में 64��से अधिक स्वदेशी सामग्री है। इसमें 67 नए स्वदेशी उपकरण भी जुड़े हैं।
HAL ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और DRDO की मदद से तेजस को विकसित किया है। यह हवा, जमीन और समुद्र में लक्ष्य को भेद सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2022 में इस विमान में उड़ान भरी थी।
HAL को मिलें आर्डर की मुख्य बातें
- ऐतिहासिक आदेश: यह सौदा HAL के लिए तेजस विमानों का दूसरा बड़ा ऑर्डर है। इससे पहले फरवरी 2021 में कंपनी को 83 तेजस विमानों के निर्माण का 46,898 करोड़ रुपये का ठेका मिला था।
- डिलीवरी का समय: नए विमानों की आपूर्ति 2027-28 से शुरू होने की उम्मीद है।
- स्वदेशीकरण: इन विमानों में 64% से अधिक स्वदेशी सामग्री और 67 नए स्वदेशी उपकरण लगेंगे, जो देश में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को बल देता है।
HAL को मिला आर्डर तो बाजार में दिखा इम्पेक्ट
इस बड़े ऑर्डर की खबर का HAL के शेयर भाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। 25 सितंबर को कंपनी का शेयर 1.09% की बढ़त के साथ 4,775.20 रुपये पर बंद हुआ। विश्लेषकों का कंपनी के भविष्य पर सकारात्मक नजरिया है – 20 विश्लेषकों में से 16 ने शेयर को ‘खरीदें’ की रेटिंग दी है।
HAL के लिए बड़ी चुनौती
HAL के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती विमानों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना है। कंपनी को जीई (GE) जैसी कंपनियों से इंजन की आपूर्ति का इंतजार है। पहले 83 विमानों के ऑर्डर की डिलीवरी में हुई देरी के मद्देनजर, इस नए ऑर्डर का समय पर पूरा होना वायुसेना की क्षमता के लिए अहम होगा।
कुल मिलाकर, 97 तेजस विमानों का यह सौदा न केवल HAL के लिए एक व्यावसायिक सफलता है, बल्कि भारत की रक्षा स्वावलंबन और सामरिक ताकत बढ़ाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
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