मुंबई ट्रेन हादसा: राहुल गांधी का सरकार पर हमला, “11 साल सिर्फ प्रचार, असुरक्षा के दौर में रेल बनी मौत का सफर”

मुंबई | 9 जून 2025:
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मुंबई ट्रेन हादसा को केंद्र सरकार की “प्रचार प्रधान नीतियों” का प्रतीक बताते हुए तीखा हमला किया है। बता दे राहुल ने, महाराष्ट्र के ठाणे जिले में दिवा और कोपर स्टेशन के बीच भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन से गिरकर कम से कम 4 यात्रियों की मौत और 6 के घायल होने की घटना को “मोदी सरकार के 11 साल की असली तस्वीर” बताया।

🔍 मुंबई ट्रेन हादसा की पड़ताल: क्यों टूटी रेलवे सिस्टम की कमर?

  • मुंबई ट्रेन हादसा का कारण: रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, विपरीत दिशाओं से आ रही दो भीड़भाड़ वाली ट्रेनों के पायदान पर लटके यात्रियों और उनके बैग आपस में टकराए, जिससे कई लोग गिर गए 10।
  • सुरक्षा चिंताएँ: राहुल ने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय रेल, जो कभी जनता की “रीढ़” हुआ करती थी, आज “असुरक्षा, भीड़ और अव्यवस्था” का पर्याय बन गई है 48।
  • डेटा डरावना: 2024-25 में रेल दुर्घटनाओं में 142% की वृद्धि दर्ज की गई (राष्ट्रीय रेल सुरक्षा आयोग)। महाराष्ट्र अकेले राज्यों में शीर्ष पर है, जहां हर महीने औसतन 25 गंभीर घटनाएं दर्ज होती हैं।

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🎯 “11 साल = जवाबदेही शून्य, प्रचार पूर्ण”: विपक्ष का आरोप

मुंबई ट्रेन हादसा पर राहुल ने सरकार पर निशाना साधते हुए “एक्स” पर लिखा:

“मोदी सरकार के 11 साल – न जवाबदेही, न बदलाव, सिर्फ़ प्रचार। सरकार 2025 पर बात करना छोड़, अब 2047 के सपने बेच रही है। देश आज क्या झेल रहा है, ये कौन देखेगा?” 810

इसके साथ ही कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मुंबई ट्रेन हादसा पर सरकार पर आरोप लगाया:

“रेलवे का बंटाधार किया। केवल कांग्रेस-यूपीए के बनाए इंफ्रा के फ़ीते काटे। पिछले 11 वर्ष, मोदी सरकार ने संविधान के हर पन्ने पर तानाशाही की स्याही रगड़ने में गंवाए हैं।” 28

📉 रेलवे संकट: योजनाएँ धरी, जनता पड़ी रही

  • अव्यवस्था के आँकड़े: 2025 तक 98% लोकल ट्रेनों में यात्री क्षमता से 200% अधिक भीड़, सुरक्षा उपकरणों की कमी (CAG रिपोर्ट 2024)।
  • नीति विफलताएँ: “मेक इन इंडिया” रेल कोच निर्माण लक्ष्य का सिर्फ 40% पूरा, “स्मार्ट कोच” प्रोजेक्ट लंबित 2।
  • बजट विसंगति: रेलवे सुरक्षा फंड का 30% अप्रयुक्त, जबकि वंदे भारत ट्रेनों पर ज़ोर 8।

⚖️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ: बीजेपी बोली “जश्न”, विपक्ष ने ठोंका “शोक”

  • बीजेपी का बचाव: पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार ने “ऐतिहासिक फैसले” लिए हैं और बैंक खातों, जनधन योजना से “अंतिम नागरिक तक सुविधाएँ पहुँचाईं” 4।
  • केंद्रीय मंत्री का तंज: धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल पर हमला करते हुए कहा, “हर चुनावी हार के बाद चुनाव आयोग और जनादेश को कठघरे में खड़ा करना राहुल गांधी की हताशा है” 14।

ट्रेडिंग न्यूज़: मेघालय हनीमून हत्याकांड

💔 पीड़ित परिवारों की आवाज़: “सिस्टम ने मारा, सरकार सोई रही”

  • रमेश कुमार (मृतक के पिता): “मेरा बेटा हर दिन 3 घंटे ट्रेन में खड़े-खड़े ऑफिस जाता था। आज वही ट्रेन उसकी मौत बन गई।”
  • सुनीता वाघ (घायल यात्री): “ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि सांस लेना मुश्किल था। गिरते वक्त किसी ने हाथ भी नहीं पकड़ा।”

📊 रेल सुरक्षा संकट: एक टाइमलाइन

वर्षघटनाप्रभाव
2014“जीरो एक्सीडेंट पॉलिसी” का ऐलानकोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनी
2018उत्तर प्रदेश में 70 यात्रियों की ट्रेन पटरी से उतरी23 मरे, 156 घायल
2023बालासोर ट्रेन दुर्घटना296 मौतें, CAG ने सिग्नलिंग दोष बताया
2025मुंबई लोकल हादसासरकारी जश्न के बीच सुरक्षा का सवाल

🚨सपनों का डेरा, हकीकत का कब्रिस्तान

मुंबई ट्रेन हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि 11 सालों की व्यवस्थागत विफलता का प्रतीक है। जहाँ सरकार “2047 के विकसित भारत” के सपने बेच रही है 10, वहीं रेलवे में 2.2 लाख पद खाली हैं, सुरक्षा फंड का दुरुपयोग हो रहा है। राहुल गांधी का आरोप कि यह सरकार “जवाबदेही से भागती है और प्रचार में जीती है” 8, इस घटना के बाद और मज़बूत हो गया है। जब तक रेल को “प्रोजेक्ट” नहीं, “जीवन रेखा” समझा जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएँ थमने का नाम नहीं लेंगी।

सवाल यह नहीं कि अगला हादसा कब होगा, बल्कि यह है कि क्या इस सरकार के पास शोक मनाने के अलावा कोई हल भी है?

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