मुख्य बिंदु:
- इज़राइल ने शुक्रवार तड़के ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया, जिसमें राजधानी तेहरान सहित कई प्रमुख ईरानी शहरों को निशाना बनाया गया।
- ईरानी मीडिया के अनुसार, देश की वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) को सक्रिय कर दिया गया है और वह हमलावर मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने का प्रयास कर रही है।
- अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उन्हें हमले से पहले इज़राइल द्वारा सूचित किया गया था, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह “हमारा ऑपरेशन नहीं है” और अमेरिकी सेना इसमें शामिल नहीं है।
तेहरान/तेल अवीव/वाशिंगटन: मध्य पूर्व एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। इज़राइल ने शुक्रवार, 13 जून, 2025 को ईरान के खिलाफ एक अप्रत्याशित और बड़ा हमला कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी अल जज़ीरा के लाइव ब्लॉग और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी तेहरान और उसके आसपास के इलाकों में कई भीषण धमाकों की आवाज़ सुनी गई है, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुँच गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम आसमान में सक्रिय हैं और जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि किन ठिकानों को निशाना बनाया गया है, लेकिन हमले का पैमाना अभूतपूर्व बताया जा रहा है।
अमेरिका का आधिकारिक रुख
इस घटना पर सबसे बड़ी प्रतिक्रिया अमेरिका से आई है। NBC न्यूज़ के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इज़राइल ने हमले से ठीक पहले अमेरिका को इसकी सूचना दी थी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी सेना इस ऑपरेशन में किसी भी तरह से शामिल नहीं है। यह बयान अमेरिका द्वारा इस संघर्ष से खुद को दूर रखने और तनाव को और बढ़ने से रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
पूरा विश्व इस घटना से चिंतित
इस हमले ने वैश्विक शक्तियों को चिंतित कर दिया है। पड़ोसी मुल्कों और यूरोपीय संघ ने तत्काल युद्धविराम और संयम बरतने की अपील की है। इस बात की गहरी आशंका है कि ईरान की जवाबी कार्रवाई इस संघर्ष को एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकती है, जिसके गंभीर वैश्विक परिणाम होंगे।
लेटेस्ट अपडेट्स: हताहतों और हुए नुकसान का पूरा विवरण अभी आना बाकी है।
इजराइल का ईरान पर हमला: जानिए क्यों उठाया गया यह कदम?
हालांकि इज़राइल की तरफ से इस बड़े हमले का कोई आधिकारिक और तात्कालिक कारण अभी तक नहीं बताया गया है, लेकिन इस सैन्य कार्रवाई को अचानक उठाया गया कदम मानना भूल होगी। यह हमला इज़राइल और ईरान के बीच दशकों से चल रहे ‘प्रॉक्सी वॉर’ (छद्म युद्ध) और गहरी दुश्मनी का ही एक विस्फोटक परिणाम है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- ईरान का परमाणु कार्यक्रम: इस दुश्मनी की सबसे बड़ी जड़ ईरान का विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम है। इज़राइल को शक है कि ईरान शांति की आड़ में परमाणु बम बना रहा है, जिसे वह अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। इज़राइली रक्षा नीति का एक प्रमुख सिद्धांत यह रहा है कि वह किसी भी दुश्मन देश को ऐसी क्षमता हासिल नहीं करने देगा जिससे इज़राइल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाए। संभव है कि इज़राइल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर कोई ऐसी खुफिया जानकारी मिली हो, जिसके बाद यह हमला करना जरूरी समझा गया।
- प्रॉक्सी गुटों द्वारा लगातार हमले: ईरान लंबे समय से लेबनान में हिजबुल्लाह, गाजा में हमास और यमन में हूती विद्रोहियों जैसे इज़राइल-विरोधी सशस्त्र गुटों को समर्थन देता रहा है। ये गुट लगातार इज़राइल पर रॉकेट और ड्रोन से हमले करते रहते हैं। हो सकता है कि हाल के दिनों में ऐसे ही किसी प्रॉक्सी हमले के जवाब में इज़राइल ने सीधे ईरान पर हमला करके एक कड़ा संदेश देने का फैसला किया हो।
- रणनीतिक बढ़त और ‘रेड लाइन’: इज़राइल हमेशा से “रोकथाम” (Deterrence) की नीति पर चलता आया है। इसका मतलब है कि वह दुश्मन को इतना डराकर रखना चाहता है कि वह हमला करने की हिम्मत न करे। ईरान का बढ़ता सैन्य प्रभाव और उन्नत मिसाइल टेक्नोलॉजी इज़राइल की इस ‘रेड लाइन’ को पार कर रही थी। यह हमला ईरान के बढ़ते प्रभाव को रोकने और क्षेत्र में अपनी सैन्य ताकत को फिर से स्थापित करने की एक कोशिश हो सकती है।